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पति के पास महीने में सिर्फ 2 वीकेंड पर आती है पत्नी..हाईकोर्ट पहुंच गया मामला, फिर क्या हुआ फैसला?

Conjugal Rights: यह बड़ा ही पेचीदा मामला सामने आया है. इसमें पहले पति ने फैमिली कोर्ट में मामला दायर करके अपनी जरूरत बताई और मांग की कि पत्नी ऊके पास ही रहे. इसके बाद पत्नी मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गई है और अपना पक्ष रखा है.

पति के पास महीने में सिर्फ 2 वीकेंड पर आती है पत्नी..हाईकोर्ट पहुंच गया मामला, फिर क्या हुआ फैसला?
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Gaurav Pandey|Updated: Dec 17, 2023, 05:26 PM IST

Gujarat High Court: रिलेशनशिप को लेकर दुनियाभर से तमाम मामले अदालत में पहुंचते रहते हैं. इसी कड़ी में एक मामला गुजरात हाईकोर्ट से सामने आया है जिसमें एक पति-पत्नी के बीच साथ रहने को विवाद हो गया. पति की इच्छा है उसकी पत्नी उसके साथ ही रहे जबकि पत्नी अपने बच्चे को लेकर पाने माता-पिता के साथ रहती है. हालांकि महिला कामकाजी और महीने में दो वीकेंड पर अपने पति के साथ रहने जाती है. असल में घटना गुजरात हाईकोर्ट से जुड़ी हुई है. यह मामला पहले तब शुरू हुआ जब एक पति ने पिछले साल सूरत के एक फैमिली कोर्ट में वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 का इस्तेमाल करते हुए अपनी पत्नी को रोजाना उसके साथ रहने का निर्देश देने की मांग की थी. इसके बाद इसी कोर्ट में महिला ने जवाब दिया था.

पहले फैमिली कोर्ट में मामला गया
असल में पति ने सूरत फैमिली कोर्ट में मामला दर्ज करते हुए मांग की थी कि उसकी पत्नी को रोज उसके साथ रहने के निर्देश दिया जाए. दोनों का एक बेटा है, लेकिन पत्नी नौकरी का बहाना बनाकर अपने माता-पिता के घर रहती है. वह उससे मिलने के लिए महीने में सिर्फ 2 वीकेंड पर आती है. इससे वह संतुष्ट नहीं है और उसके पति होने के अधिकारों का हनन हो रहा है. पति ने यह भी आरोप लगाया था कि पत्नी उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का वहन नहीं कर रही है. उसने उसे वैवाहिक अधिकारों से वंचित रखा हुआ है. उसने यह भी कहा कि बच्चे की हेल्थ पर भी काफी असर पड़ रहा है.

पत्नी पहुंच गई गुजरात हाईकोर्ट
महिला ने सूरत के फैमिली कोर्ट में जवाब देते हुए कहा था कि वह महीने में दो बार अपने वैवाहिक घर जाती है. उसने पति को छोड़ने के दावे को भी खारिज किया और कहा कि वह उससे अलग नहीं है. पत्नी ने कोर्ट से पति के केस को रद्द करने का आग्रह करते हुए कहा कि पति का मुकदमा चलने योग्य नहीं है. वह हर महीने दो वीकेंड नियमित रूप से घर जाती है जो काफी है. हालांकि 25 सितंबर को, पारिवारिक अदालत ने पत्नी की आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि किए गए दावों के लिए पूर्ण सुनवाई की आवश्यकता होगी.

गुजरात हाईकोर्ट के क्या टिप्पणी की
इसके बाद महिला गुजरात हाईकोर्ट चली गई. महिला के वकील ने वहां तर्क दिया कि धारा 9 हिंदू विवाह अधिनियम कहता है कि किसी व्यक्ति को वैवाहिक दायित्व पूरा करने के लिए तभी निर्देशित किया जा सकता है, अगर वह अपने पति या पत्नी से अलग हो गई है. इस मामले में, पत्नी हर दूसरे सप्ताह के आखिर में अपने पति के घर जाती है और पति यह दावा नहीं कर सकता कि वह उससे अलग हो गई है. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है कि पति अपनी पत्नी को अपने साथ रहने के लिए कहता है तो इसमें गलत क्या है? इस मुद्दे पर विचार की जरूत है. 25 जनवरी तक अगला जवाब दाखिल किया जाए, फिर आगे की सुनवाई होगी. 

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