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इंसान पहले जीने के लिए हाथियों का करते थे शिकार, इजराइली वैज्ञानिकों ने खोज निकाला सबूत

Elephants In Paleolithic Era: इजरायल के तेल अवीव यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविदों ने पाषाण युग के पत्थर के औजारों और हाथी के शिकार को लेकर एक चौंकाने वाली खोज की है. इस रिसर्च से पता चला है कि कैसे शुरुआती इंसान हाथियों का शिकार करते थे और अपने शिकार की जरूरतों को पूरा करते थे.

 
इंसान पहले जीने के लिए हाथियों का करते थे शिकार, इजराइली वैज्ञानिकों ने खोज निकाला सबूत
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Alkesh Kushwaha|Updated: Apr 02, 2024, 02:25 PM IST

Israeli Archaeologists: इजरायल के तेल अवीव यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविदों ने पाषाण युग के पत्थर के औजारों और हाथी के शिकार को लेकर एक चौंकाने वाली खोज की है. इस रिसर्च से पता चला है कि कैसे शुरुआती इंसान हाथियों का शिकार करते थे और अपने शिकार की जरूरतों को पूरा करते थे. डॉ. मेइर फिंकेल और प्रोफेसर रान बरकाई के नेतृत्व में हुए इस रिसर्च से पता चलता है कि प्राचीन खदानों और हाथियों के रास्तों के स्थानों का शिकार करने के लिए रणनीतिक रूप से चुनाव किया जाता था.

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खुद को जिंदा रखने के लिए शिकार

लगभग दो लाख साल पहले पाषाण युग में, होमो इरेक्टस (प्रारंभिक मानव प्रजाति) खुद को जिंदा रखने के लिए शिकार पर बहुत ज्यादा निर्भर थे. भोजन प्राप्त करने और अपने वातावरण में रहने के लिए उन्हें विशेष हथियारों की आवश्यकता थी, जो पत्थर के औजारों से बनाए जाते थे. उस जमाने में हाथी बहुत बड़े हुआ करते थे, हमारे आदि पुरखों से कहीं ज्यादा बड़े. दूसरी तरफ, होमो इरेक्टस (प्रारंभिक मानव प्रजाति) अपने बनाए हुए पत्थर के औजारों से लैस थे. शिकार के दौर में हाथी का शिकार करना बहुत बड़ी बात होती थी क्योंकि एक ही हाथी कई दिनों तक कई लोगों का पेट भर सकता था.

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पानी, खाना और पत्थर

इजरायल की पाषाण युग की पुरातात्विक जगहों, जैसे कि गेशेर बेनोट याकोव में अध्ययन से पता चलता है कि हाथी हमारे आदि मानवों के खाने का एक अहम हिस्सा हुआ करते थे. डॉ. मेइर फिंकेल और प्रोफेसर रान बरकाई के शोध में पाया गया कि ये प्राचीन पत्थर की खदानें इत्तेफाक से नहीं बनाई गई थीं, बल्कि होशियारी से हाथियों के आने-जाने के रास्तों के पास बनाई गई थीं. उस समय के इंसानों को तीन चीजों की सबसे ज्यादा जरूरत होती थी - पानी, खाना और पत्थर. ये खदानें पानी के स्रोतों और हाथियों के रास्तों के पास ही बनाई गई थीं. शोधकर्ताओं ने पाया कि एक हाथी रोजाना औसतन 400 लीटर पानी पीता है, इसी वजह से उनका चलने का रास्ता लगभग तय रहता है.

ठीक वैसे ही जैसे हर जीव को पानी की जरूरत होती है, हाथियों को भी रोजाना बहुत सारा पानी पीना पड़ता था. शायद शुरुआती इंसानों ने ये देखा होगा और हाथियों की इस आदत को समझ लिया होगा. पास में ही पत्थर की खदान होने का एक और फायदा था. पास में ही खदान होने से ये सुनिश्चित हो जाता था कि हमारे पूर्वज जल्दी से शिकार को काटने और इस्तेमाल करने के लिए जरूरी औजार बना सकें.

 

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