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Human Eyes: दिमाग को भी धोखा दे सकती हैं आंखें..जानिए कैसे, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Eyes Trick: आपको जानकर हैरानी होगी कि दिमाग से भी तेज शरीर का एक हिस्सा होता है. और यह होता है इंसान की आंखें. एक ताजा रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इंसान की आंखें इंसान के दिमाग से भी खेल सकती हैं.

Human Eyes: दिमाग को भी धोखा दे सकती हैं आंखें..जानिए कैसे, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
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Gaurav Pandey|Updated: May 10, 2023, 09:27 PM IST

Human Brain And Eyes: इंसान के दिमाग को सबसे तेज और सबसे बुद्धिमान अंग माना जाता है. दिमाग से ही शरीर का नर्वस सिस्टम और एक-एक अंग संचालित होता है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दिमाग से भी तेज शरीर का एक हिस्सा होता है. और यह होता है इंसान की आंखें. एक ताजा रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इंसान की आंखें इंसान के दिमाग से भी खेल सकती हैं, और उनको भी वश में कर सकती हैं.

संयुक्त शोध में खुलासा

दरअसल, हाल ही में ब्रिटेन की यॉर्क यूनिवर्सिटी और ऑस्टन यूनिवर्सिटी के संयुक्त शोध में विशेषज्ञ वैज्ञानिकों ने इस पर खुलासा किया है. इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स में यॉर्क यूनिवर्सिटी के आधिकारिक प्रकाशित जर्नल के हवाले से इस बारे में बताया गया है. जर्नल में लिखा गया है कि मानव दृश्य प्रणाली यानी कि आंखों का सिस्टम अपने आसपास की दुनिया में वस्तुओं के आकार के बारे में गलत धारणा बनाने में मस्तिष्क को 'छल' सकती हैं. 

जीवन के कई पहलुओं पर प्रभाव

इतना ही नहीं यह भी बताया गया कि इस शोध के निष्कर्षों का रोजमर्रा के जीवन के कई पहलुओं पर प्रभाव पड़ सकता है. यॉर्क यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग के डॉ डैनियल बेकर ने बताया कि हमारे आस-पास दिखाई देने वाली वस्तुओं के वास्तविक आकार को निर्धारित करने के लिए, हमारी दृश्य प्रणाली को वस्तु की दूरी का अनुमान लगाने की आवश्यकता होती है. पूर्ण आकार की समझ पर पहुंचने के लिए यह छवि के उन हिस्सों को ध्यान में रख सकता है जो धुंधले हो जाते हैं.

बहुत ही तीव्र और गतिशील 

एक अन्य मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसने अध्ययन का मतलब यह हुआ कि हमें वस्तु के आकार के अनुमानों में मूर्ख बनाया जा सकता है. तमाम फोटोग्राफर तकनीक का उपयोग करके इसका लाभ उठा सकते हैं. वे जीवन-आकार की वस्तुओं को स्केल मॉडल बना सकते हैं. फिलहाल मानव का मस्तिष्क बहुत ही तीव्र और गतिशील होता है. इस नए शोध का प्रायोगिक प्रभाव कितना पड़ेगा, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. लेकिन इस शोध में आगे क्या प्रगति होती है, इस पर वैज्ञानिकों की नजर जरूर रहेगी.

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