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मशहूर राइटर ने शेयर की अपनी 12वीं की मार्कशीट, अंग्रेजी के नंबर देख बोले- मुझे लगा मैं फेलियर हूं

Class 12th Marksheet:  सोशल मीडिया पर मशहूर अंकुर वारिकू ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर 12वीं क्लास की सीबीएसई मार्कशीट शेयर की. उनका मकसद ये बताना था कि जिंदगी में सफलता या असफलता सिर्फ परीक्षा के नंबरों से नहीं तय होती. 

 
मशहूर राइटर ने शेयर की अपनी 12वीं की मार्कशीट, अंग्रेजी के नंबर देख बोले- मुझे लगा मैं फेलियर हूं
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Alkesh Kushwaha|Updated: Apr 04, 2024, 11:39 AM IST

Ankur Warikoo 12th Marksheet: राइटर, आंत्रेप्न्योर और सोशल मीडिया पर मशहूर अंकुर वारिकू ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर 12वीं क्लास की सीबीएसई मार्कशीट शेयर की. उनका मकसद ये बताना था कि जिंदगी में सफलता या असफलता सिर्फ परीक्षा के नंबरों से नहीं तय होती. "मेक एपिक मनी" और "डू एपिक शिट" जैसी मशहूर किताबों के लेखक वारिकू ने भले ही अंग्रेजी में सिर्फ 57 अंक हासिल किए हों, लेकिन वो ये ज़ोर देना चाहते हैं कि सिर्फ पढ़ाई में अच्छे नंबरों से ज्यादा ज़िंदगी में और भी बहुत कुछ सीखना जरूरी होता है.

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इंस्टाग्राम पर पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल

अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में अंकुर वारिकू ने लिखा, "12वीं कक्षा में अंग्रेजी में मेरे सिर्फ 57 अंक आए! सच बताऊं तो ये वाकई बहुत खराब लगा! मैं खुद को फेल जैसा महसूस कर रहा था. लेकिन आज, लोग मुझे अच्छा बोलने वाला और आत्मविश्वास के साथ बात करने वाला मानते हैं. अगर मेरे नंबर मेरी असली काबिलियत दिखाते, तो मेरा कुछ नहीं होता! तो जो कोई भी वैसा ही सोच रहा है जैसा मैं उस वक्त सोच रहा था, याद रखो... आपके नंबर आपको नहीं बताते कि आप कौन हो. आप खुद को ही बता सकते हैं कि आप कौन हैं. मेरी बात मानो, जो कई बार असफल हुआ है. ये सबसे बड़ी बात है कि आप अभी भी ज़िंदा हो. आपके पास वक्त है और आपके पास आप खुद हो. इसका पूरा फायदा उठाओ!"

 

 

12वीं की परीक्षा में कम आए थे अंग्रेजी में नंबर

अंकुर वारिकू ने एक और पोस्ट में लिखा, "मैंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़ाई की थी और मेरी अंग्रेजी अच्छी थी. मुझे अच्छे अंक भी मिलते थे. लेकिन 12वीं कक्षा में, मुझे सिर्फ 57 अंक आए. मैं कक्षा में सबसे कम अंक पाने वाले छात्रों में से एक था. मुझे बहुत धक्का लगा. मुझे लगा कि मेरे अंक मेरी पहचान और मेरा वजूद बन गए हैं." अंकुर वारिकू ने ये भी लिखा कि बीस साल बाद उन्हें समझ आया कि ये परीक्षा उनकी ज़िंदगी नहीं है. "चाहे मेरे अंक अच्छे हों या बुरे, ये परीक्षा मेरी ज़िंदगी नहीं थी. ये तो सिर्फ एक नतीजा था. और अपनी मेहनत से मैं ये नतीजा बदल सकता था."

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अंकुर वारिकू की पोस्ट को इंस्टाग्राम पर लोगों ने खूब पसंद किया. एक यूजर ने लिखा, "आज हम जो हैं, उसे बनाने में मार्क्स का कोई रोल नहीं होता." एक दूसरे यूजर ने कमेंट किया, "दरअसल, ज़िंदगी में आगे चलकर दसवीं और बारहवीं के मार्क्स ज्यादा मायने नहीं रखते, असल में मायने रखता है हमारा नजरिया और जीने का तरीका, रिस्क लेना और असफलताओं का सामना करना. हमारा हार न मानने का जज्बा और सफल होने तक कोशिश करते रहना ज़रूरी है." 

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