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PPF Vs FD: पीपीएफ या एफडी, टैक्‍स सेव‍िंग के ल‍िए क‍िसमें करें न‍िवेश? इन 7 कारणों से समझें

Tax Saving Option: टैक्‍स से जुड़ें जानकारों का कहना है कि पीपीएफ ऐसे लोगों के लिए बेस्‍ट है जो टैक्‍स सेव‍िंग और सुरक्षित निवेश विकल्प के साथ लंबी अवध‍ि के ल‍िए बचत की तलाश में हैं. दूसरी तरफ एफडी ज्‍यादा फ्लेग्जिबिलिटी देती है.

PPF Vs FD: पीपीएफ या एफडी, टैक्‍स सेव‍िंग के ल‍िए क‍िसमें करें न‍िवेश? इन 7 कारणों से समझें
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Kriyanshu Saraswat|Updated: Jul 07, 2023, 10:06 AM IST

Public Provident Fund Vs FD: टैक्‍स से जुड़े जानकारों का मानना ​​है कि पीपीएफ (PPF) और टैक्‍स सेव‍िंग एफडी किसी के ल‍िए लंबे समय की बचत योजना के ल‍िए अच्छे विकल्प हो सकते हैं. पीपीएफ की ब्‍याज दर की हर तीन महीने में व‍ित्‍त मंत्रालय की तरफ से समीक्षा की जाती है, जरूरत पड़ने पर इसमें बदलाव भी होता है. वहीं एफडी पर पूर्व निर्धारित अवधि के लिए तय दर से ब्याज दर म‍िलती है.

लॉन्‍ग टर्म में न‍िवेश

बहुत से टैक्‍सपेयर्स र‍िटायरमेंट और अपने लक्ष्‍यों में ध्‍यान में रखकर न‍िश्‍च‍ित आय, टैक्‍स सेव‍िंग निवेश के ऑप्‍शन के रूप में पीपीएफ को चुनते हैं. टैक्‍स से जुड़ें जानकारों का कहना है कि पीपीएफ ऐसे लोगों के लिए बेस्‍ट है जो टैक्‍स सेव‍िंग और सुरक्षित निवेश विकल्प के साथ लंबी अवध‍ि के ल‍िए बचत की तलाश में हैं. दूसरी तरफ एफडी ज्‍यादा फ्लेग्जिबिलिटी देती है. इससे निवेशकों के लिए सही ऑप्‍शन बनता है. यानी पीपीएफ में लॉन्‍ग टर्म में न‍िवेश करना होगा और एफडी में ऐसा नहीं है.

एफडी में निवेश का जोखिम
एफडी में न‍िवेश करने के कुछ नुकसान भी हैं. जबकि पीपीएफ टैक्‍स से राहत देता है. एफडी व्यक्ति के टैक्‍स स्लैब के अनुसार म‍िलने वाले ब्याज पर टैक्‍स के अधीन हैं. वहीं, एफडी रिटर्न हमेशा महंगाई को मात नहीं दे सकता है. यानी कि आपकी सेव‍िंग का वास्तविक मूल्य समय के साथ गिर सकता है. इससे अहम बात यह है कि एफडी पर सरकार द्वारा गारंटी नहीं दी जाती. सरकार के समर्थन के कारण पीपीएफ की तरफ से प्रदान की जाने वाली सुरक्षा शानदार है.

टैक्‍स बेन‍िफ‍िट
पीपीएफ में न‍िवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत टैक्‍स कटौती के लिए योग्य है, जो आपकी टैक्‍स देनदारी में कटौती करने में मदद कर सकता है. साथ ही, पीपीएफ की मैच्‍योर‍िटी पर ब्याज और आपको म‍िलने वाली राश‍ि टैक्‍स फ्री है. इसे नौकरीपेशा टैक्‍स के नजरिये से एक आकर्षक विकल्प बनाती है.

ब्याज दर
पीपीएफ पर मौजदूा समय में जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए ब्याज दर 7.1 प्रतिशत है. टैक्‍स सेव‍िंग एफडी पर एसबीआई (SBI) की तरफ से 6.50 प्रतिशत की ब्‍याज दर ऑफर की जा रही है.

लॉक-इन पीर‍ियड
यदि आप लंबी अवधि के लिए कम ब्याज दर पर अपना पैसा लॉक करते हैं, तो ब्‍याज दर बढ़ने पर आपको नुकसान होगा. यही कारण है क‍ि पीपीएफ पांच साल की टैक्‍स सेव‍िंग एफडी से ज्‍यादा बेहतर प्रदर्शन करता है. एफडी ब्याज दरें पूरी निवेश अवधि के लिए स्थिर रहती हैं. पीपीएफ की ब्याज दर फ्लोटिंग होती है, जो हर तिमाही में बदल सकती है.

कंपाउंडिंग का फायदा
पीपीएफ में न‍िवेश करने से आपको कंपाउंडिंग का फायदा म‍िलता है. यह आपके पीपीएफ न‍िवेश को चमत्‍कार‍िक बनाता है. पीपीएफ अकाउंट 15 साल में मैच्‍योर होता है और मैच्‍योर‍िटी के बाद आप पैसा न‍िकाल सकते हैं और खाता बंद कर सकते हैं. इसके अलावा आप अपना न‍िवेश जारी रखकर अकाउंट को अगले पांच साल के ल‍िए बढ़ा सकते हैं. इसी तरह पांच-पांच साल के ल‍िए इसका आगे व‍िस्‍तार क‍िया जा सकता है.

उदाहरण के लिए यदि आप पीपीएफ अकाउंट में हर साल 50,000 रुपये जमा करते हैं तो आप 15 साल में करीब 14.06 लाख रुपये का फंड बना सकते हैं. यदि ब्याज दर 7.1 प्रतिशत पर स्थिर रहती है. हालांक‍ि, यदि आप इसे अगले पांच साल के ल‍िए बढ़ाते हैं तो यह राशि बढ़कर 22.69 लाख रुपये हो जाती है.

लोन और न‍िकासी की सुव‍िधा
पीपीएफ जरूरत पड़ने पर आपको आंशिक न‍िकासी का मौका देता है. आप न‍िवेश शुरू करने के सातवें साल में चिकित्सा, आपात स्थिति या बच्चों की शिक्षा या शादी जैसी जरूरतों के ल‍िए यहां से पैसा न‍िकाल सकते हैं. जानकारों का कहना है क‍ि क‍िसी को भी अपनी टाइम ल‍िम‍िट के अनुसार निवेश का विकल्प चुनना चाहिए. यदि छोटी निवेश अवधि के ल‍िए आपके निवेश लक्ष्य हैं तो एफडी चुनें. यदि आप लंबे समय के ल‍िए न‍िवेश करना चाहते हैं तो आपके ल‍िए पीपीएफ बेस्‍ट है.

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