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आप जानते हैं सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करने वाले पहले भारतीय का नाम?, UPSC को इस नाम से जानते थे पहले

First IAS Officer of India: देश में ब्रिटिश हुकुमत के चलते सिविल सर्विस एग्जाम पर सिर्फ अंग्रेजों का अधिकार था. इस परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय युवा सत्येंद्र नाथ थे. वह एक कवि भी थे, उन्होंने कई कवि रचनाएं की थी. यहां जानें और भी इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स...

आप जानते हैं सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करने वाले पहले भारतीय का नाम?, UPSC को इस नाम से जानते थे पहले
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Arti Azad|Updated: Mar 15, 2023, 04:31 PM IST

First IAS Officer of India: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता पाने के लिए हर साल देश के लाखों युवा सपना सजोते हैं. इसके लिए लोग दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन तब भी पहले प्रयास में सफलता मिल जाए यह जरूरी नहीं है. क्योंकि सिविल सेवा परीक्षा देश में सबसे कठिन परीक्षाओं में शामिल है. इस परीक्षा में यूं तो हर साल लाखों भारतीय शामिल होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय युवा कौन थे? अगर नहीं तो यहां जानें  सिविल सेवा परीक्षा क्रैक करने वाले पहले भारतीय का नाम और कुछ अन्य इंट्रेस्टिंग बातें...

जानें कब हुई थी सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत 
सिविल सेवा परीक्षा की शुरुआत साल 1855 में अंग्रेजों द्वारा की गई थी. इस परीक्षा का आयोजन लंदन में किया जाता था. जबकि, परतंत्र भारत में इसका पहली बार आयोजन साल 1922 में हुआ था. पहले इसे इंडियन इंपेरियल सर्विस के नाम से भी जाना जाता था. 

पहले लंदन में होती थी परीक्षा
शुरुआत में भारतीय इस परीक्षा से वंचित रहे. इंडियन इंपेरियल सर्विस एग्जाम का सिलेबस तब इस तरह तैयार किया गया था कि यूरोपियन को ज्यादा नंबर मिल सके. 

सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले पहले भारतीय
सिविल सेवा परीक्षा को पास करने वाले पहले भारतीय होने का दर्जा सत्येंद्र नाथ टैगोर को मिला. उन्होंने इस परीक्षा को साल 1863 में पास किया था. सत्येंद्र नाथ मूल रूप से कोलकाता के थे. उन्होंने परीक्षा पास करने के बाद 1864 में सिविल सेवक के रूप में आईएएस सर्विस को जॉइन किया था. टैगोर ने एक गीत मिले सबे भारत संतान लिखा था, जो कि अनौपचारिक भारत का पहला राष्ट्रीय गान बना था.

हेलबरी कॉलेज में हुई थी ट्रेनिंग
ब्रिटिश हुकुमत में प्रशासनिक सेवाओं के लिए ट्रेनिंग लंदन के कॉलेज में ही दी जाती थी. तब लंदन के हेलबरी कॉलेज को ट्रेनिंग देने के लिए चुना गया. सत्येंद्र नाथ टैगोर द्वारा सिविल सेवा पास करने के 3 साल बाद 4 भारतीयों ने पास की थी.

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