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Taal Thok Ke: मथुरा-काशी, 'तपस्या' बाक़ी?

Taal Thok Ke: राम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सियासत तेज़ है। लेकिन आज कई कांग्रेसी अयोध्या हो आए। दीपेंदर हुड्डा, अजय राय, अखिलेश प्रताप सिंह समेत कई कांग्रेस नेताओं ने आज सरयू में डुबकी लगाई। उसके बाद हाथ से हाथ मिलाकर एक साथ जयश्रीराम के नारे भी लगाये। लेकिन दूसरी तस्वीर भी देखिये। सरयू में कांग्रेसियों की राम नाम की डुबकी अयोध्या के लोकल लोगों को पसंद नहीं आई। बल्कि उन्हें गुस्सा आ गया। और कांग्रेसियों के साथ उनकी झड़प हो गई। लोगों ने मारपीट की...कांग्रेस का झंडा भी खींचकर फाड़ दिया। जैसा कि हमें पता चला है कि इन लोगों का ये कहना था कि कांग्रेस ने हमेशा तो राम मंदिर में रोड़ अटकाए। इसलिये अब सरयू में डुबकी लगाकर और जय श्रीराम बोलकर ढोंग कर रहे हैं। इसपर आगे बात करेंगे। क्योंकि अभी हमारी जो बहस है, वो इसपर है कि राम मंदिर बन जाने के बाद कौन से काम बाक़ी हैं? राम मंदिर उद्घाटन का निमंत्रण मिलने के बाद RSS प्रमुख मोहन भागवत ने पहला बयान दिया है। उन्होंने इसे आनंद का क्षण बताया। आगे ये कहा कि अभी बहुत काम बाक़ी है, जिस तपस्या से ये सपना पूरा हुआ है, उसे जारी रखना है। और तब तक जारी रखना है जब तक गंतव्य की प्राप्ति नहीं हो जाती। ठीक इसी वक्त AIMIM चीफ़ असदुद्दीन ओवैसी का भी एक बयान आया है। जिसमें एक बार फिर उन्होंने मुसलमानों से बाबरी को नहीं भूलने और हर मस्जिद को आबाद रखने की अपील की है। ओवैसी ने बयान में नई चीज़ ये जोड़ी कि उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों की हर मस्जिद को कुछ लोग ललचाई नज़रों से देख रहे हैं और उनपर कब्ज़ा करने की साज़िश कर रहे हैं। तो इसी पर बहस को आगे बढ़ाएंगे। जानेंगे कि भागवत ने जो शब्द कहा गंतव्य..उसका मतलब क्या है?..क्या काशी-मथुरा है?...वो किस तपस्या की बात कह रहे हैं जो अधूरी है?

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