जिस घर में दो से ज्यादा बच्चे होते हैं वहां मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम के होने का खतरा होता है. जैसा कि इसके नाम से जाहिर होता है- ये समस्या मिडिल बच्चों में होती है.
ज्यादातर घरों में ऐसा देखा जाता है कि मिडिल चाइल्ड को हमेशा बड़े और छोटे बच्चे से कम अटेंशन मिलता है. जहां बड़े बच्चे को तारीफ मिलती है क्योंकि वो सबसे आगे होते हैं तो छोटो को लाड-प्यार लेकिन मिडिल चाइल्ड आमतौर नजरअंदाज कर दिए जाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं माता-पिता ऐसा व्यवहार बच्चे को बहुत परेशान कर सकता है. इसके कारण वह मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम से ग्रस्त भी हो सकता है.
क्या होता है मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम
यह एक मनोवैज्ञानिक अवधारणा है. इसके अनुसार परिवार में बीच के बच्चे को लगता है कि उसे कम ध्यान और प्यार मिलता है. यह जन्म क्रम के सिद्धांत से संबंधित है जिसके मुताबिक माना जाता है कि जन्म का क्रम बच्चों के व्यक्तित्व और व्यवहार को प्रभावित करता है.
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बच्चे पर क्या असर पड़ता है?
हालांकि मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम को किसी मानसिक विकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है, फिर भी यह बच्चों को भावनात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है. जैसे-
माता-पिता को क्या करना चाहिए?
हर बच्चे को अलग तरह का ध्यान और प्यार की जरूरत होती है. ऐसे में यदि आपको लगता है कि आपके बच्चे में मिडिल चाइल्ड सिंड्रोम के ऊपर बताए गए संकेत दिख रहे हैं तो ये चीजें कर सकते हैं-