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क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट? जानें इसके तहत हुई सोनाक्षी सिन्हा-जहीर इकबाल की शादी का क्या मतलब है

sonakshi sinha and zaheer iqbal Wedding: बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस और भाजपा नेता शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा ने अपने मुस्लिम बॉयफ्रेंड जहीर इकबाल से स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की है. एक्ट्रेस को इस कानून का सहारा क्यों लेना पड़ा चलिए आपको इस लेख में बताते हैं.

क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट? जानें इसके तहत हुई सोनाक्षी सिन्हा-जहीर इकबाल की शादी का क्या मतलब है
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Sharda singh|Updated: Jun 25, 2024, 10:16 AM IST

बॉलीवुड की शादी हमेशा चर्चा में रहती है. इस बार फिल्म स्टार सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की शादी के साथ एक स्पेशल एक्ट की भी खूब चर्चा हो रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि धर्म अलग होने के कारण दोनों किसी धर्म के रीति-रिवाजों के अनुसार शादी नहीं करने का फैसला लिया है. 

कभी-कभी हालात ऐसे बन जाते हैं जहां लोग अपने चुनाव के धर्म या जाति से बाहर किसी से शादी करना चाहते हैं. ऐसे मामलों में विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act, 1954) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

स्पेशल मैरिज एक्ट क्या है?

विशेष विवाह अधिनियम, 1954 भारत में उन लोगों को शादी करने का कानूनी अधिकार देता है जो अपना जीवनसाथी स्वयं चुनना चाहते हैं, भले ही उनके धर्म या जाति अलग हों. यह अधिनियम अंतर-धार्मिक और अंतरजातीय विवाहों को सरल और कानूनी रूप से मान्यता प्रदान करता है.

क्यों की सोनाक्षी सिन्हा ने कानूनी शादी

सोनाक्षी सिन्हा ने जब जहीर इकबाल के साथ शादी करने का फैसला लिया तो इनके धर्म को लेकर काफी चर्चा होने लगी. भाजपा सांसद पिता शत्रुघ्न सिन्हा भी शुरुआत में इस रिश्ते और शादी के फैसले से उखड़े नजर आ रहे थे. लगातार यह सवाल उठ रहे थे कि क्या सोनाक्षी सिन्हा अपना धर्म बदलेंगी? ऐसे में सोनाक्षी और जहीर ने बीच का रास्ता चुनते हुए स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी की. जिसके बाद यह बात साफ हो गयी है कि सोनाक्षी सिन्हा अपना धर्म नहीं बदलेंगी. 

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जाति धर्म से परे शादी करने का कानून

इस अधिनियम के तहत किसी भी धर्म या जाति के व्यक्ति को किसी अन्य धर्म या जाति के व्यक्ति से शादी करने की स्वतंत्रता है. इसके तहत विवाह करने की प्रक्रिया सरल और आसान है. इसमें किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती है. बस इस अधिनियम के तहत विवाह करने के लिए वर की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और वधू की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए.

शादी से एक महीने पहले नोटिस देना जरूरी

यदि कोई कपल स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करना चाहते हैं तो इसके लिए जिला विवाह अधिकारी को 30 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है. साथ ही विवाह का पंजीकरण करवाना जरूरी होता है. इसके बाद विवाह का प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.

स्पेशल मैरिज एक्ट का महत्व

यह अधिनियम जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव को कम करने में मदद करता है और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देता है. इसके तहत व्यक्ति को अपने लिए जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता होती है. साथ ही इस एक्ट के तहत शादी करने वाले कपल को सारे कानूनी अधिकार भी प्राप्त होते हैं.

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