Kashmir Leech Therapy: कहा जाता है कि दवा और दुआ दोनों काम करें तो बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है. इसके लिए लोग कई तरह की पैथी और थेरेपी का सहारा लेते हैं. एलोपैथी, होम्योपैथी और नेचुरोपैथी जैसे इलाजों के बीच कश्मीर में लीच थेरेपी जमकर पॉपुलर हो रही है. जिसमें जोंक से इलाज होता है. आज भी यहां सैकड़ों की तादाद में लोग लीच थेरेपी से इलाज करवाते हैं. फारसी नववर्ष नवरोज़ को कश्मीर घाटी में वसंत का पहला दिन माना जाता है. इसी दिन घाटी के सैकड़ों लोग लीच थेरेपी सेंटर्स पर अपनी बीमारियों से छुटकारा पाने की उम्मीद में इकट्ठा होते हैं. इन लोगों का मानना है कि लीच थेरेपी काफी कारगर होती है. इससे कई बड़ी बीमारियां ठीक हो जाती हैं.
क्या है लीच थेरेपी?
लीच थेरेपी मिस्र की एक प्राचीन पद्धति है जिसमें रोगियों के इलाज के लिए औषधीय लीच यानी जोंक का इस्तेमाल किया जाता है. औषधीय गुणों वाली लीच के तीन जबड़े होते हैं. उनके दांतों की छोटी-छोटी पंक्तियां होती हैं. वो अपने दांतों से व्यक्ति की त्वचा को छेदते हैं और अपनी लार के जरिए उनमें थक्कारोधी दवाएं डालते हैं. लीच को इलाज करवा रहे व्यक्ति से 20 से 45 मिनट तक खून निकालने दिया जाता है.
चिकित्सकों के अनुसार, लीच का इस्तेमाल दर्द के इलाज करने के लिए किया जाता है. इनका इस्तेमाल दांतों की समस्याओं, त्वचा रोगों, संक्रमण, गठिया, पुराने सिरदर्द और साइनसाइटिस के इलाज के लिए भी किया जाता है.
एक्सपर्ट की राय
इस पद्धति से इलाज करने वाले थेरेपिस्ट शोकत अहमद राथर का कहना है कि हम पिछले 40 सालों से लीच थेरेपी कर रहे हैं. यह एक प्राचीन पद्धति है जिसका उपयोग हमारे पूर्वज करते थे. हम डूरू क्षेत्र में लीच की मदद से रोगियों का इलाज करते रहे हैं. अगर कोई व्यक्ति एलर्जी, उच्च रक्तचाप, शीतदंश और गांठ से पीड़ित है. हमारे पास रामबन, किश्तवाड़, उत्तरी कश्मीर और दक्षिण कश्मीर से मरीज आते हैं. हम लीच थेरेपी में विशेषज्ञ हैं और नवरोज़ के आसपास हमारे यहाँ बहुत भीड़ होती है. कुछ लोगों का दावा है कि एलोपैथिक दवाएं उनके लिए जो काम नहीं कर सकीं, वो लीच थेरेपी ने कर दिखाया है.
हाल के दिनों में, यह देखा गया है कि घाटी में अधिक से अधिक लोग होम्योपैथी उपचार की ओर भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं. गौरतलब है कि जोंक थेरेपी एक ब्लड प्यूरीफिकेशन थेरेपी है जो शरीर से जहरीले खून को बाहर निकालने में मददगार है. इस प्रक्रिया के दौरान, औषधीय जोंक का उपयोग किया जाता है जो अशुद्ध रक्त को चूसते हैं और रक्त में कुछ ऐसे एंजाइम छोड़ते हैं जो बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ शरीर की उपचार शक्ति में सहायक होते हैं.