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नींद में कमी, बन सकती है डायब‍िटीज की वजह, स्‍टडी में सामने आई चौंका देने वाली बात

स्‍टडी से पता चलता है कि एक हफ्ते तक किसी इंसान की नींद अगर अनियमित रहती है तो उसे टाइप 2 डायब‍िटीज का खतरा 34 प्रतिशत ज्‍यादा होगा. आइये जानते हैं क‍ि डायब‍िटीज को लेकर इस स्‍टडी में कौन सी बातें बताई गई हैं... 

नींद में कमी, बन सकती है डायब‍िटीज की वजह, स्‍टडी में सामने आई चौंका देने वाली बात
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Vandanaa Bharti|Updated: Jul 19, 2024, 01:31 PM IST

डायब‍िटीज को लेकर एक स्‍टडी की गई है, ज‍िसमें नींद और डायब‍िटीज के बीच संबंध बताया गया है. अध्‍ययन के अनुसार एक सप्ताह तक अनियमित नींद के पैटर्न से टाइप 2 डायब‍िटीज का खतरा 34 फीसदी बढ़ जाता है. खासतौर से मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध व्यक्तियों में इसका खतरा ज्‍यादा देखा गया है. हालांक‍ि शोधकर्ताओं ने यह भी कहा क‍ि अगर दीर्घकाल‍िक नींद की आदतों में अन‍ियम‍ितता नहीं है तो इस खतरे से बचा भी जा सकता है. इस स्‍टडी को करने वाले अध्‍ययनकर्ताओं ने यह भी कहा क‍ि अपनी लाइफस्‍टाइल में हेल्‍दी बदलाव कर और नींद की खुराक पूरी लेकर खुद को टाइप-2 डायब‍िटीज के खतरे से बचाया जा सकता है.   

डायब‍िटीज केयर नाम के जरनल में प्रकाश‍ित र‍िपोर्ट में कहा गया है क‍ि स्‍लीप पैटर्न में न‍ियम‍ितता जरूरी है.नींद में अगर न‍ियम‍ितता है तो इससे टाइप 2 डायब‍िटीज का खतरा कम हो सकता है. अमेरिका के ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल की रिसर्च फेलो और अध्ययन की प्रमुख लेखिका सिना कियानेर्सी ने ल‍िखा है क‍ि नींद की अन‍ियम‍ितता और टाइप 2 के बीच संबंध‍ पाया गया है.  

बता दें क‍ि शोधकर्ताओं ने इस स्‍टडी के दौरान यूके बायोबैंक डेटासेट से 84,000 से अधिक प्रतिभागियों को चेक किया, जिनकी औसत आयु 62 वर्ष थी और जिन्‍हें डायब‍िटीज नहीं था. सात साल की अवधि में, उन्होंने चिकित्सा रिकॉर्ड का उपयोग करके मेटाबोलिक रोग की शुरुआत को ट्रैक किया. 
 
शोधकताओं का उद्देश्य यह पता लगाना था कि क्या अनियमित नींद की अवधि शरीर की प्राकृतिक सर्कैडियन लय को बाधित करके मधुमेह के जोखिम को बढ़ा सकती है. इसके अलावा, उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की कि अनियमित नींद पैटर्न रोग के लिए कम आनुवंशिक प्रवृत्ति वाले व्यक्तियों को कैसे प्रभावित करता है. 

अध्ययन से पता चला है कि 60 मिनट से ज्‍यादा की नींद की अवधि में बदलाव का अनुभव करने वाले व्यक्तियों को 60 मिनट से कम की नींद की अवधि में बदलाव का अनुभव करने वाले व्यक्तियों की तुलना में मधुमेह का 34 प्रतिशत ज्‍यादा जोखिम होता है. हालांकि, जीवनशैली, स्वास्थ्य की स्थिति, पर्यावरण और शरीर में वसा जैसे कारकों को ध्यान में रखने के बाद, यह बढ़ा हुआ जोखिम 11 प्रतिशत तक कम हो गया. 

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