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ICMR Study: 'मेटाबॉलिक सिंड्रोम से गुजर रहे हैं कई नौकरीपेशा लोग, कैंसर का भी बढ़ा खतरा'

आईसीएमआर की स्टडी में कई हैरान करने वाले दावे किए गए हैं, जिसमें यंग वर्किंग प्रोफेशल्स में मेटाबोलिक सिंड्रोम का खतरा देखा जा रहा है जो कैंसर की वजह बन सकता है.

ICMR Study: 'मेटाबॉलिक सिंड्रोम से गुजर रहे हैं कई नौकरीपेशा लोग, कैंसर का भी बढ़ा खतरा'
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Shariqul Hoda|Updated: Feb 16, 2024, 12:29 PM IST

Meabolic Syndrome In Working Youth : आज के कंपिटीटिव एज में नौकरी करना किसी के लिए आसान नहीं होता. ऐसे में कई लोगों का मेटल हेल्थ काफी खराब हो रहा है, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक स्टडी के मुताबिक नौकरी करने वाले एक तिहाई कर्मचारी को मेटाबोलिक सिंड्रोम है, ये एक ऐसा मेडिकल कंडीशन है जिसमें अगर ये 45 साल से कम एज ग्रुप के लोगों को हो जाए तो रिटारमेंट के एज तक पहुंचते पहुंचते कैंसर का भी रिस्क बढ़ जाता है.

आईसीएमआर की स्टडी

आईसीएमआर के अधीन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन है ने तीन बड़ी आईटी कंपनी में वर्किंग यूथ पर ये स्टडी की जिसमें सभी लोगोम की उम्र 30 साल से कम थी. इस रिसर्च में ये बात सामने आई कि हर दूसरा शख्स या मोटापे का शिकार हे या मोटापे की तरफ बढ़ रहा है. 10 में से 6 कर्मचारियों को हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत है, जिसके कारण भविष्य में वो दिल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो सकता है.

बीमारी नहीं है मेटाबोलिक सिंड्रोम

हमारे लिए ये जानना जरूरी है कि मेटाबोलिक सिंड्रोम कोई डिजीज नहीं, बल्कि एक मेडिकल कंडीशन है जिसमें बॉडी में बीमारी होने की वजह ज्यादा हो जाती है. हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल को मिलाकर मेटाबॉलिक सिंड्रोम कहा जाता है. ये हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और कैंसर का खतरा बढ़ा देता है.

डाइट और माहौल का असर

रिसर्चर्स के मुताबिक आईटी ऑफिसिस और बीपीओ के क्षेत्र में नौकरीपेशा युवा काफी ज्यादा है, लेकिन वर्क प्लेस का माहौल और फूड उनके सेहत को काफी ज्यादा बिगाड़ रहा है. इस स्टडी को मेडिकल जर्नल एमडीपीआई में पब्लिश किया गया जिसका टाइटल 'इम्पैक्ट ऑफ डिजीजेज एंड न्यूट्रीशनल डिसऑर्डर ऑन ऑक्यूपेशनल हेल्थ' था.

चौंकाने वाले आंकड़े

इस स्टडी में बता चला कि कई लोगों वजन बढ़ने लगा है, जबकि 16.85% कर्मचारी मोटापे के शिकार हो चुके हैं, 3.89 फीसदी लोगों को डायबिटीज था और 64.93 फीसदी वर्क्स हाई कोलेस्ट्रॉल के साथ जिंदगी जी रहे थे. भारत में एक बड़ी आबादी युवाओं की है ऐसे में ये ट्रेंड खतरनाक साबित हो सकता है, ऐसा न हो कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम से पीड़ित कई युवा 60-65 की उम्र तक आते-आते कैंसर का शिकार हो जाएं.

 

Disclaimer: प्रिय पाठक, संबंधित लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है. जी मीडिया इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.

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