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Hypothyroidism Symptoms: लड़कियों में काफी आम हो रही हाइपोथायरायडिज्म की समस्या, दिखे ये लक्षण तो तुरंत करवाएं जांच

हाइपोथायरायडिज्म में शरीर थायरॉयड हार्मोन का कम उत्पादन करता है. थायरॉयड हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म (चयापचय) को कंट्रोल करता है, जो खाने को एनर्जी में बदलने की प्रक्रिया है.

Hypothyroidism Symptoms: लड़कियों में काफी आम हो रही हाइपोथायरायडिज्म की समस्या, दिखे ये लक्षण तो तुरंत करवाएं जांच
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Shivendra Singh|Updated: Apr 01, 2024, 09:24 AM IST

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और खानपान में लापरवाही का असर न सिर्फ बड़ों पर बल्कि बच्चों पर भी पड़ रहा है. इसी क्रम में एक चिंताजनक पहलू सामने आया है, लड़कियों में हाइपोथायरायडिज्म की समस्या तेजी से बढ़ रही है.

हाइपोथायरायडिज्म एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर थायरॉयड हार्मोन का कम उत्पादन करता है. थायरॉयड हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म (चयापचय) को कंट्रोल करता है, जो खाने को एनर्जी में बदलने की प्रक्रिया है. जब शरीर पर्याप्त मात्रा में थायरॉयड हार्मोन नहीं बना पाता है, तो यह कई शारीरिक कामों को प्रभावित करता है.

लड़कियों में हाइपोथायरायडिज्म क्यों बढ़ रहा है?
इसके ठीक-ठीक कारणों का पता अभी तक नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ संभावित कारक माने जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:
- जेनेटिक्स: हाइपोथायरायडिज्म का पारिवारिक इतिहास होना एक जोखिम कारक है.
- ऑटोइम्यून बीमारी: शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से थायरॉयड ग्रंथि पर हमला कर देती है, जिससे हार्मोन का उत्पादन कम हो जाता है.
- पोषण की कमी: आयरन और आयोडीन की कमी से थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन प्रभावित हो सकता है.
- तनाव: हाई लेवल का तनाव भी हार्मोनल असंतुलन पैदा कर सकता है.

लड़कियों में हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण
- थकान और कमजोरी
- वजन बढ़ना
- बालों का झड़ना
- ड्राई स्किन
- ठंड लगना
- कब्ज
- मासिक धर्म में अनियमितता
- डिप्रेशन
- याददाश्त कमजोर होना

माता-पिता कैसे करें सतर्क?
अगर आपकी बेटी में उपरोक्त में से कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है. डॉक्टर ब्लड टेस्ट के माध्यम से थायरॉयड हार्मोन के लेवल की जांच कर सकते हैं. अगर हाइपोथायरायडिज्म का पता चलता है, तो डॉक्टर थायरॉयड हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी देंगे. यह एक ऐसी दवा है जो शरीर में थायरॉयड हार्मोन की कमी को पूरा करती है.

समस्या से बचाव के उपाय
बैलेंस डाइट का सेवन करें जिसमें पर्याप्त मात्रा में आयरन और आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हों.
योग, ध्यान या गहरी सांस लेने के व्यायाम तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं.
नियमित शारीरिक गतिविधि वजन को नियंत्रित रखने और पूरी सेहत को बेहतर बनाने में मदद करती है.
नियमित रूप से डॉक्टर से जांच कराएं, खासकर अगर आपके परिवार में हाइपोथायरायडिज्म का इतिहास है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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