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Parenting Tips: बच्चे तभी कॉन्फिडेंट बनते हैं जब पेरेंट्स खुद नहीं करते ऐसी चीजें

Parenting Tips For Shy Kids: बच्चों में कौन से गुण होंगे यह चीज माता-पिता पर निर्भर करती है. हालांकि कुछ चीजे जीन्स के जरिए भी जनरेशन टू जनरेशन में पास होती है लेकिन कॉन्फिडेंस जैसी क्वालिटी को सिखा और सिखाया जा सकता है.

Parenting Tips: बच्चे तभी कॉन्फिडेंट बनते हैं जब पेरेंट्स खुद नहीं करते ऐसी चीजें
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Sharda singh|Updated: Mar 26, 2024, 09:30 AM IST

एक अच्छी पेरेंटिंग वही होती है जहां पेरेंट्स अपने बच्चों को उनकी कमियों के लिए डांटने की जगह उन्हें अच्छे गुण सिखाने की कोशिश करते हैं. परवरिश माता-पिता के अनगिनत निर्णयों और कार्यों से भरी एक यात्रा है जो बच्चों के आत्मविश्वास और आत्मसम्मान को आकार देती है.

हालांकि हर पेरेंट्स यह चाहते हैं कि उनका बच्चा कॉन्फिडेंट और निडर रहे लेकिन अगर बच्चा शर्मिला है तो उसमें यह गुण कैस डालना है ज्यादातर लोगों को बता नहीं होता है. ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसी चीजें बता रहे हैं जिसे कॉन्फिडेंट बच्चों के पेरेंट्स करने से बचते हैं, यह आपके लिए भी मददगार साबित हो सकता है.

सबके सामने डांटना

बच्चा अगर गलती करे तो उसे डांटना जरूरी होता है. इससे उसे बता होगा कि उसे क्या करना चाहिए और क्या नहीं. लेकिन सबके सामने डांटना बहुत ही गलत प्रैक्टिस होती है इससे बच्चे का आत्मबल कमजोर होता है.

दूसरों से कंप्येर करना

हर बच्चा अलग और स्पेशल होता है. लेकिन ज्यादातर माता-पिता इस बात को समझ नहीं पाते दूसरे बच्चों से अपने बच्चे की तुलना करने लगते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि वह बच्चे को बेहतर करने के लिए मोटिवेट कर रहे हैं, पर वास्तव में बच्चे का इससे कॉन्फिडेंस लो होता है.

बच्चे की बात को तवज्जों न देना

ज्यादातर पेरेंट्स आमतौर पर बच्चे की बातों को सुनने से ज्यादा उन्हें सुनाने में लगे रहते हैं. ऐसे बच्चा बहुत दबाव महूसस करने लगता है, और धीरे-धीरे उसमें अपनी बातों को खुलकर कहना कॉन्फिडेंस खत्म हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि बच्चे की बात को तवज्जों दें उन्हें ध्यान से सुनें.

बच्चों की राय ना लेना

बच्चों भले ही अनुभव में पेरेंट्स से कम होते हैं, लेकिन उनकी भी चीजों को लेकर अपनी एक राय हो सकती है. ऐसे में यदि आपका बच्चा किसी बात पर अपनी राय रखना चाहता है तो उसे चुप ना कराएं बल्कि खुद को एक्सप्रेस करने की आजादी दें. इससे उसमें कॉन्फिडेंस बढ़ेगा. यह भी हो सकता है कि बच्चे की बातों से आपको चीजों को समझने का एक नया नजरिया मिल जाए.

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