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BMI को लेकर मत बिगाड़ें अपना मेंटल बैलेंस, खराब सेहत से नहीं सीधा नाता!

आमतौर पर बॉडी मास इंडेक्स से बताया जाता है कि आप किसी रोग के शिकार हो सकते हैं. लेकिन अब शोधकर्ता कहते हैं कि सच तो यह है कि इसका किसी व्यक्ति के स्वस्थ या अस्वस्थ होने से रिश्ता नहीं है. इसे लेकर बेजवह लोगों को डराने की कोशिश हुई है.

BMI को लेकर मत बिगाड़ें अपना मेंटल बैलेंस, खराब सेहत से नहीं सीधा नाता!
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Lalit Rai|Updated: Jan 23, 2024, 10:02 AM IST

Body Mass Index Science: 18वीं सदी में बेन फ्रेंकलिन ने कहा था कि इस दुनिया में मौत और टैक्स को छोड़ कुछ भी निश्चित नहीं. उनके कहने का मतलब क्या था. शायद उन्होंने दो वजहों से इसे कहा होगा. पहला यह कि मौक के साक्षी वो रहे होंगे क्योंकि हम सब किसी ना किसी का जनाता उठते हुए देखते है. दूसरी वजह यह कि उनकी जिंदगी में बीएमआई की जानकारी हो चुकी थी. यहां हम बात उसी बीएमआई की करेंगे. बीएमआई का अर्थ बॉडी मास इंडेक्स होता है, इसके जरिए मोटापे की पहचान करते हैं. यानी कि बीएमआई अधिक का मतलब ये कि कोई शख्स मोटा है, इसके कम होने का अर्थ यह कि कोई शख्स पतला है. लेकिन बदलते समय के साथ अब बीएमआई के कंसेप्ट में बदलाव आया है.

बीएमआई मतलब बीमारी नहीं

जैसे जैसे मेडिकल साइंस ने तरक्की की. मोटे लोगों को पतला होने का विकल्प मिल चुका है. 19वीं शताब्दी में बेल्जियम के साइंटिस्ट लैंबर्ट एडॉल्फ जैक्स क्वॉटलेट ने इस शब्द को सुझाया था. इसके बारे में साल 2009 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मैथेमेटिसियन कीथ डेवलिन और विस्तार दिया. उन्होंने गणित का एक ऐसा फॉर्मूला विकसित किया जिसकी मदद से हम मोटापे या पतलेपन के बारे में जानकारी हासिल करते हैं. उसका मकसद यह था कि सरकारी संसाधनों का किस तरह से बंटवारा किया जाए. किसी गणितज्ञ या स्टैटिस्यिन के लिए इस तरह के आंकड़ों का अर्थ हो सकता है. लेकिन इसके जरिए कोई व्यक्ति कितना स्वस्थ होगा या रोगी उसके बारे में पता नहीं लगाया जा सकता. 

बीएमआई पर शोधकर्ता उलझे

बीएमआई को लेकर शोधकर्ता भी आपस में उलझे हुए हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी के निक फुलर कहते हैं कि अगर आप महिलाओं की बात करें तो पुरुषों की तुलना में फैट मास की जगह मांसपेशियों का मास कम होता है. यानी महिलाओं में मोटापे की वजह फैट मास मान सकते हैं. हम सब जानते हैं कि जैसे जैसे हम बूढ़े होने लगते हैं मसल मास कम होने लगता है. इसके साथ ही रिसर्च में यह भी जानकारी मिली कि किसी के शरीर का वजन, उसकी बनावट और रोग का नाता उसकी एथिनिसिटी है यानी कि शख्स नॉर्डिक, मंगोलॉयड,प्रोटो ऑस्ट्रेलॉयड किस श्रेणी में आता है. जैसे एशियाई मूल के लोगों को बीएमआई कम होना चाहिए जबकि पॉलीनेशियन लोगों की बीएमआई अधिक हो सकती है.

कम बीएमआई वाले रोगी निकले, ज्यादा वाले स्वस्थ

पॉडकास्ट मेंटेनेंस फेज के 2021 एपिसोड में लेखक और पत्रकार ऑब्रे गॉर्डन बीएमआई पर अपनी राय कुछ इस तरह रखते हैं. 1867 तक पहली अमेरिकी जीवन बीमा कंपनी ने मोटे ग्राहकों से अधिक शुल्क वसूलने के उद्देश्य से ऊंचाई और वजन तालिकाएं बनाई थी. आगे चलकर बीमा और दवा कंपनियों ने इसका फायदा उठाया. बीएमआई का मोटापे से संबंध और उससे होने वाले रोगों को आप ऐसे भी समझ सकते हैं.  उदाहरण के लिए 2016 में 40,000 से अधिक अमेरिकियों पर किए गए अध्ययन  में यह निष्कर्ष निकला कि लगभग आधे अधिक वजन वाले व्यक्ति, 29 प्रतिशत मोटे व्यक्ति मेटोबोलिक तौर पर स्वस्थ थे, 30 प्रतिशत से अधिक सामान्य वजन वाले व्यक्ति कार्डियोमेटाबोलिक रूप से अस्वस्थ थे.

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