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Alzheimer's Disease: 2050 तक अल्जाइमर पीड़ितों की संख्या होगी तीन गुना! जानिए कैसे कम करें खतरा?

अल्जाइमर रोग आमतौर पर बूढ़े उम्र के लोगों में पाया जाता है, लेकिन कई बार यह जवानी में भी शुरू हो सकता है. यह एक अभिशापी रोग है, जिसका अब तक कोई सटीक उपचार नहीं मिला है.

Alzheimer's Disease: 2050 तक अल्जाइमर पीड़ितों की संख्या होगी तीन गुना! जानिए कैसे कम करें खतरा?
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Shivendra Singh|Updated: Jul 04, 2023, 09:04 AM IST

अल्जाइमर रोग (Alzheimer's disease) एक लगातार बढ़ने वाला न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिससे धीरे-धीरे याददाश्त और अन्य महत्वपूर्ण दिमागी काम करने की क्षमताओं में कमी होती है. यह दिमाग के सेल्स के बीच कम्युनिकेशन को बाधित करता है, जिसके कारण मेमोरी लॉस, सोचने और याद करने की क्षमता में कमी आती है.

अल्जाइमर रोग आमतौर पर बूढ़े उम्र के लोगों में पाया जाता है, लेकिन कई बार यह जवानी में भी शुरू हो सकता है. अल्जाइमर रोग अपने प्रभावित व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन, परिवार और समाज को अस्थिर कर सकता है और उन्हें सामान्य कार्यों को सम्पन्न करने में समस्याएं हो सकती हैं. यह एक अभिशापी रोग है, जिसका अब तक कोई सटीक उपचार नहीं मिला है. यही वजह है कि यह एक मर्जी के रूप में लगातार बढ़ सकता है.

2050 तक पीड़ितों की संख्या तीन गुना होने का अनुमान
डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि 2050 तक पीड़ितों की संख्या तीन गुना हो जाएगी. हालांकि, शोधकर्ताओं ने बीमारी से जुड़े कई प्रमुख कारकों की पहचान की है. इनमें उम्र, जेनेटिक्स, जीवनशैली फैक्टर आदि मेडिकल कंडिशन शामिल हैं.

अंतराल पर उपवास से कम होगा खतरा
अंतराल पर उपवास अल्जाइमर रोग को रोकने में मदद करता है. शोधकर्ताओं ने चूहों के मस्तिष्क की कोशिकाओं पर उपवास करने के प्रभावों की और उनमें बढ़े हुए अमाइलॉइड टॉक्सिसिटी वाले चूहों से अलग ब्रेन सेल्स की जांच की. इसमें पता चला कि चूहों के 48 घंटे तक उपवास से उनके मस्तिष्क की कोशिकाओं को सुरक्षा मिलती है.

अल्जाइमर रोग के शुरुआती संकेत

मेमोरी लॉस: यह रोग की सबसे पहचानी जाने वाली समस्या है. लोग अपनी पिछली घटनाओं, यात्राओं और परिचित वस्तुओं को भूलने लगते हैं.

भाषा और बातचीत में कमजोरी: व्यक्ति के भाषा और बातचीत क्षेत्र में कमजोरी दिख सकती है. वे शब्दों को ढंग से याद नहीं रख पाते हैं, बातों को समझने में कठिनाई होती है और सही तरीके से बोलने में समस्या हो सकती है.

सामग्री समझने में कठिनाई: व्यक्ति को नई जानकारी को समझने में असमर्थता का अनुभव हो सकता है. वे लिखित और मौखिक सामग्री को समझने में परेशानी महसूस कर सकते हैं.

पहचानने में कमजोरी: व्यक्ति अपने परिचित लोगों को पहचानने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं. वे दोस्त, परिवार के सदस्यों और अनज लोगों को जल्दी पहचान नहीं पाता है.

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