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World Lion Day: 'विश्व शेर दिवस' आज, आखिर क्यों जरूरी है हमारे लिए 'वनराज'?

World Lion Day History: भारत समेत दुनिया भर में हर साल 10 अगस्त को विश्व शेर दिवस मनाया जाता है. इस खास दिन को मनाने का उद्देश्य शेरों की घटती आबादी और संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है. क्या है इस डे का इतिहास, कब महसूस किया गया कि बिग कैट्स को बचाना जरूरी है, आइए जानते हैं.

World Lion Day: 'विश्व शेर दिवस' आज, आखिर क्यों जरूरी है हमारे लिए 'वनराज'?
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Shwetank Ratnamber|Updated: Aug 10, 2024, 02:14 PM IST

World Lion Day 2024: आज का दिन पूरी मानवजाति और पर्यावरण के लिहाज से बेहद अहम है. इको सिस्टम के ठीक रहने से जुड़े इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर दुनियाभर में एक साथ काम हो रहा है. इस बार इंटरनेशनल वर्ल्ड लॉयन डे के मौके पर जानने की कोशिश करते हैं कि वनराज हमारे लिए क्यों जरूरी है. जरा सोचिए जब जंगल का राजा ही नहीं बचेगा तो हरे भरे जंगल कितना सूना और विरान हो जाएगा? सिंह की 5 मील दूर तक सुनाई देने वाली दहाड़, खुले में शिकार की आदत ही तो है जो जंगल की ओर आकर्षित करती है. इनका जिंदा रहना मानव समाज के लिए वरदान है.

इतिहास और थीम

भारत समेत दुनिया भर में हर साल 10 अगस्त को विश्व शेर दिवस मनाया जाता है. इस खास दिन को मनाने का उद्देश्य शेरों की घटती आबादी और संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है. ये शीर्ष शिकारी शाकाहारी आबादी को नियमित करके समग्र पारिस्थितिक संतुलन में योगदान करते हैं. क्या है इस डे का इतिहास, कब महसूस किया गया कि बिग कैट्स को बचाना जरूरी है? तो बिग कैट रेस्क्यू नाम के एक संगठन ने विश्व शेर दिवस मनाने का निर्णय लिया था. पहली बार साल 2013 में इसे मनाया गया था. इससे भी पहले 2009 में इसकी नींव पड़ चुकी थी.

फिल्म निर्माता और पर्यावरणविद डेरेक और बेवर्ली जौबर्ट ने शेरों की रक्षा करने का टारगेट सेट किया. 2009 में बिग कैट इनिशिएटिव (बीसीआई) की स्थापना की. उन्होंने महसूस किया कि शिकार और अवैध शिकार के कारण ये जंगली बिल्लियां कम होती जा रही हैं. मौजूदा शेर प्रजातियों को बचाने के प्रयास में, नेशनल जियोग्राफ़िक और बिग कैट इनिशिएटिव (BCI) की स्थापना की गई. और फिर 2013 से इसे मनाने की परम्परा शुरू हुई.

भारत में शेरों की आबादी लगभग 674

यहां दिलचस्प फैक्ट ये है कि सबसे ज्यादा भारत को इसके प्रति संवेदनशील होने की जरूरत है. दरअसल, भारत लुप्तप्राय एशियाटिक लायन का प्राकृतिक निवास स्थान है. ये शेर खास तौर पर गुजरात के गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य में पाए जाते हैं. नवीनतम गणना के अनुसार, भारत में शेरों की आबादी लगभग 674 है. गिर राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षण प्रयासों ने एशियाई शेरों की संख्या को स्थिर करने और थोड़ा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गिर में इन बड़ी बिल्लियों की संख्या 2015 में 523 से बढ़कर 2020 में 674 हो गई.

भारत सरकार के एशियाई शेर संरक्षण परियोजना: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, ने एशियाई शेरों को बचाने के लिए "एशियाई शेर संरक्षण परियोजना" शुरू की है.
गिर के अलावा भारत में कई ऐसे नेशनल पार्क है, जहां पर जंगल के राजा शेर को करीब से देखा जा सकता है. राजस्थान में स्थित कुंभलगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में आप करीब से शेरों का दीदार कर सकते हैं. यहां शेरों के अलावा तेंदुआ और बाघ भी मौजूद है.

राजस्थान में ही एक और सीता माता वाइल्डलाइफ सेंचुरी मौजूद है. यहां पर आपको एशियाई शेरों की संख्या देखने को मिलेगी. आप अपने दोस्तों, रिश्तेदारों या अकेले भी यहां आकर शेरों को करीब से देख सकते है.मध्य प्रदेश के कूनो वाइल्डलाइफ सेंचुरी में आप जंगल के राजा को करीब से देख सकते हैं.

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