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Mehbooba Mufti: ‘रघुपति राघव राजा राम’ से महबूबा खफा क्यों? पढ़ें PDP नेता की कट्टर सोच का सटीक विश्लेषण

Raghupati Raghav Raja Ram: महबूबा मुफ्ती को भले ही इसमें हिंदू मुस्लिम एजेंडा नजर आया हो, लेकिन महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में कभी किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाया होगा.

Mehbooba Mufti: ‘रघुपति राघव राजा राम’ से महबूबा खफा क्यों? पढ़ें PDP नेता की कट्टर सोच का सटीक विश्लेषण
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Zee News Desk|Updated: Sep 21, 2022, 04:08 PM IST

Raghupati Raghav Raja Ram in Kasmir Schools: महबूबा मुफ्ती ही नहीं, कई कश्मीरी नेता, जिनकी राजनीति का मुख्य हथियार, हिंदु-मुस्लिम तनाव है. वो अब प्रार्थना गीत को हथियार बनाकर, कश्मीर में अशांति के बीज बोना चाहते हैं. लेकिन हम आपको उस सरकारी आदेश के बारे में बताएंगे जिसमें गांधी जी की 153वीं जयंती के उपलक्ष्य में कराए जाने वाले कार्यक्रमों की फेहरिस्त है. इन कार्यक्रमों का मकसद यही है कि बच्चे महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरणा लें. ये सरकारी आदेश, जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से स्कूली शिक्षा विभाग को भेजा गया था. आइये आपको बताते हैं इस आदेश के बारे में.

प्रार्थना पर घटिया पॉलिटिक्स

इस महीने 6 सितंबर से लेकर...2 अक्टूबर तक हर दिन कोई ना कोई विशेष कार्यक्रम रखा गया है. सभी कार्यक्रमों का आयोजन, महात्मा गांधी के आदर्श बताने के लिए आयोजित किए जा रहे हैं. जिस दिन का वीडियो, महबूबा मुफ्ती ने राजनीतिक हित साधने के लिए इस्तेमाल किया, उस दिन, जम्मू-कश्मीर के हर सरकारी स्कूल में यही प्रार्थना गीत गाया जा रहा था. 13 सितंबर वाले कॉलम में लिखा है All Faith Prayer यानी सभी धर्मों में विश्वास रखने वाली प्रार्थना की जाए, खासतौर से रघुपति राघव राजा राम, ईश्वर अल्लाह तेरो नाम, लिखा हुआ है.

कहां हिंदू मुस्लिम एजेंडा?

महबूबा मुफ्ती को भले ही इसमें हिंदू मुस्लिम एजेंडा नजर आया हो, लेकिन महात्मा गांधी की प्रार्थना सभा में कभी किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाया होगा. उस वक्त सभी जानते थे कि हिंदू मुस्लिम एकता ही, भारत की मजबूती का राज है. लेकिन राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले कुछ नेता, आज इसी समाज को बापू के प्रार्थना गीत के जरिए ही बांटने की कोशिश कर रहे हैं. स्कूलों के लिए जो सरकारी आदेश दिया गया है, उसमें कहीं भी, हिंदू या मुस्लिम शब्द का जिक्र नहीं है. इसमें स्कूली बच्चों के सामने महात्मा गांधी के आदर्शों की झांकी पेश की गई है. महबूबा मुफ्ती और उनकी जैसी सोच वाले नेताओं को इस सरकारी आदेश के बारे में जानना चाहिए.

महबूबा मुफ्ती की परेशानी की वजह क्या है?

इसमें 8 सितंबर को महात्मा गांधी के आदर्शों पर बने गीत गाए गए थे. 12 सितंबर को स्कूली बच्चों को दांडी मार्च की के बारे में बताया गया था, ताकि बच्चों को देश की आजादी के लिए किए गए संघर्ष का पता चले. 14 सितंबर को स्कूली बच्चों को आत्मनिर्भर भारत का मतलब बताया गया. 16 सितंबर को स्कूली बच्चों को स्वच्छ भारत की शपथ दिलवाई गई. इसी तरह से हर दिन कोई ना कोई कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे. 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी को सम्मान देते हुए सभी स्कूली बच्चे, शांति यात्रा भी निकालेंगे. मतलब ये है कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से कश्मीर के स्कूली बच्चों को बेहतर नागरिक बनने की प्रेरणा दी जा रही है. मुमकिन है महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को यही बात परेशान कर रही हैं.

जब वो सत्ता में नहीं होते...

महबूबा मुफ्ती ने अपने राजनीतिक एजेंडा के लिए हमेशा महात्मा गांधी की तारीफ करती रहीं. उन्होंने एक बार यहां तक कहा था कि कश्मीर के लोगों को महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलना चाहिए. कश्मीर के कुछ नेताओं के साथ दिक्कत ये है, कि वो जब सत्ता में होते हैं, तो उनकी बातों से राष्ट्रवाद  झलकता है. लेकिन जब वो सत्ता में नहीं होते, तो कश्मीर में विभाजनकारी सोच के बीज बोने लगते हैं. 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने की चर्चा होने लगी, तब महबूबा मुफ्ती की जुबान भी कड़वी हो गई. अनुच्छेद 370 हटाए जाने की कवायद के समय उनकी सोच, उनके एक बयान से झलकने लगी.

तिरंगे को कंधा देने वाले कोई नहीं होगा...

महबूबा मुफ्ती की इन बातों से यही लगता है कि वो जम्मू कश्मीर और भारत को अलग-अलग हिस्से के तौर पर देखती हैं. महबूबा मुफ्ती की ऐसी विभाजनकारी सोच का सबसे बड़ा उदाहरण उनका एक बयान था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर 370 हटाया गया तो, तिरंगे को कंधा देने वाले कोई नहीं होगा. भारत के किसी भी राष्ट्रवादी व्यक्ति को तिरंगे का ऐसा अपमान कभी बर्दाश्त नहीं होगा. लेकिन महबूबा अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए तिरंगे का अपमान करने से भी नहीं चूकी थीं. महबूबा के बयानों से ऐसा ही लगता रहा है कि वो जम्मू कश्मीर को भारत का अंग नहीं मानती हैं. और ये सोच उनकी जुबान पर अक्सर आ जाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि, मुख्यमंत्री रहने के दौरान महबूबा मुफ्ती ने, जेलों में कैद पत्थरबाजों के लिए आम माफी योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत सैकड़ों पत्थरबाजों को छोड़ दिया गया था. ये वो दौर था जब सेना के काफिले पर रोजाना पत्थरबाजी होती थी, और खासतौर से शुक्रवार यानी जुमे के दिन हालात ज्यादा खराब हो जाते थे.

'रघुपति राघव राजा राम' के दो वर्जन

प्रार्थना गीत 'रघुपति राघव राजा राम' के दो वर्जन हैं. माना जाता है कि इसका ओरिजनल वर्जन श्री नाम रामायण से लिया गया है, इसे श्री लक्ष्मणाचार्य ने लिखा था. बाद में इसी में महात्मा गांधी ने बदलाव किया था. ये बदलाव महात्मा गांधी ने भारत सर्वधर्म समभाव की भावना लाने के लिए किया था. लेकिन अफसोस इस बात का है, जिस प्रार्थना गीत ने भारतीयों को एकजुट किया, उसी के जरिए महबूबा मुफ्ती, देश को लोगों को बांटने का प्रयास कर रही हैं. हलांकि अलगाववादी सोच रखने वाले नेताओं की साजिश, कश्मीर के लोग कभी कामयाब नहीं होने देंगे. लोग भी समझ गए हैं कि राजनेता केवल अपनी राजनीति चमकाने के लिए, लोगों को बांटने का प्रयास कर रहे हैं. इसीलिए कश्मीर के लोग अब बदलते कश्मीर का हिस्सा बन रहे हैं.

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