Strong Earthquake: भूकंप ने एक बार फिर धरती के कुछ हिस्सों को हिला दिया है. दिल्ली एनसीआर में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप के झटके उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी महसूस किया गया. झटके काफी देर तक महसूस किए गए हैं. झटका आने के बाद लोग अपने-अपने घरों के बाहर निकल गए हैं. बताया गया है कि इस भूकंप का केंद्र नेपाल है. नेपाल में कुछ ही किमी की गहराई पर 4.6 तीव्रता का भूकंप आया. फिलहाल क्षति या हताहत की तत्काल कोई रिपोर्ट नहीं है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बार-बार आखिर भूकंप क्यों आ जाते हैं. आइए यह भी समझते हैं कि भारत में कौन-कौन सी जगह ज्यादा संवेदनशील है.
क्या है भूकंप आने का कारण
असल में एक्सपर्ट्स का मानना है कि भूकंप आने का जो सबसे प्रमुख कारण है वह यह है कि जब टैक्टोनिक प्लेट्स की स्थिति में परिवर्तन होता है. धरती में 12 टैक्टोनिक प्लेट्स होती हैं. इन प्लेट्स के आपस में टकराने पर जो ऊर्जा निकलती है, उसे ही भूकंप कहा जाता है. ये प्लेट्स बहुत धीमी रफ्तार से घूमती रहती हैं और हर साल अपनी जगह से 4 से 5 मिमी तक खिसक जाती हैं. ऐसे में कोई प्लेट किसी से दूर हो जाती है तो कोई किसी के नीचे से खिसक जाती है. इसी प्रक्रिया के दौरान प्लेट्स के टकराने से भूकंप आता है.
भारत में भूकंप के क्षेत्रों को जोन में बांटा गया
यहां यह भी जानना जरूरी है कि रिंग ऑफ फायर में होने के कारण दुनिया में सबसे ज्यादा भूकंप इंडोनेशिया देश में आते हैं. जावा और सुमात्रा भी इसी क्षेत्र में आते हैं. अब अगर भारत की बात करें तो पिछले कुछ दशकों में भारत भी भूकंप का केंद्र बनता जा रहा है. एक रिसर्च के मुताबिक, भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है और इसी खतरे के हिसाब से देश को कई जोन में बांटा गया है. जैसे जोन- 1, जोन-2, जोन-3, जोन-4 और जोन-5. जोन-2 यानी सबसे कम खतरा और जोन-5 यानी सबसे ज्यादा खतरा है. भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक इलाका जोन- 5 है.
भारत का जोन-5 सबसे ज्यादा खतरनाक
जोन-5 में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड गुजरात में कच्छ का रन, उत्तर बिहार का कुछ हिस्सा और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है. इस क्षेत्र में अक्सर भूकंप आते रहते हैं. जोन-4 में जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के बाकी हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग, सिंधु-गंगा थाला, बिहार और पश्चिम बंगाल, गुजरात के कुछ हिस्से और पश्चिमी तट के समीप महाराष्ट्र का कुछ हिस्सा और राजस्थान शामिल है.
जोन-3 : इसमें केरल, बिहार, पश्चिमी राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश पूर्वी गुजरात और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा आता है.
जोन-2 : जोन-2 में राजस्थान, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा को शामिल किया गया है.
जोन-1 : भूकंप के लिहाज से सबसे कम खतरे वाले जोन यानि जोन-1 में पश्चिमी मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक पूर्वी महाराष्ट्र और उड़ीसा के हिस्से आते हैं.
भूकंप का केंद्र क्या होता है?
धरती की सतह के नीचे की वह जगह, जहां पर चट्टानें आपस में टकराती हैंं या टूटती हैं, भूकंप का केंद्र या फोकस कहलाता है. इसे हाइपोसेंटर भी कहते हैं. इस केंद्र से ही ऊर्जा तरंगों के रूप में बतौर कंपन फैलती है और भूकंप आता है. यह कंपन एकदम उसी तरह होता है, जैसे शांत तालाब में पत्थर फेंकने पर तरंगें फैलती हैं
दिल्ली-एनसीआर में भूकंप
पिछले कुछ सालों में भारत में जब भी भूकंप आया तो दिल्ली-एनसीआर में इसके तेज झटके महसूस किए गए हैं. एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि यह चिंता का विषय है. क्या टैक्टोनिक प्लेट्स की स्थिति में परिवर्तन तब भी होता है जब धरती के ऊपर कोई क्रिया होती है, इन सब सवालों के जवाब वैज्ञानिकों को परेशान करने वाले हैं. इस पर लगातार रिसर्च की जा रही है.