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Delhi Mayor: मेयर चुनाव से बीजेपी ने क्यों खींच लिए कदम? AAP को घेरने के लिए बनाया ये गेमप्लान

Delhi MCD Election: पार्टी के बड़े नेता यह मानते हैं कि आम आदमी पार्टी को मेयर बनाने का चांस मिलना चाहिए क्योंकि दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने चुनावों में बड़े-बड़े वादे किए हैं, जिनको असलियत बनाना मुमकिन नहीं है. बाद में इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. 

Delhi Mayor: मेयर चुनाव से बीजेपी ने क्यों खींच लिए कदम? AAP को घेरने के लिए बनाया ये गेमप्लान
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Zee News Desk|Updated: Dec 12, 2022, 01:42 PM IST

How Mayor Elected in Delhi: दिल्ली एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को जीत मिली है जबकि 15 साल से टाउन हॉल की सत्ता पर काबिज बीजेपी आउट हो गई. लेकिन नतीजों के बाद संग्राम मेयर पद पर छिड़ गया. हाल ही में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके आदेश गुप्ता ने यह कहकर हलचल पैदा कर दी थी कि मेयर तो भाजपा का ही होगा. लेकिन बाद में उन्होंने यू-टर्न लिया और कहा कि मेयर आम आदमी पार्टी का होगा और बीजेपी विपक्ष में बैठेगी. अब सवाल यह उठ रहा है कि आखिर बीजेपी ने मेयर के मुकाबले से यू-टर्न क्यों ले लिया?

क्या है बीजेपी की रणनीति?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भविष्य को देखते हुए कदम पीछे लेना भी बीजेपी के गेम प्लान का हिस्सा है. पार्टी नेता कह रहे हैं कि आगे जाने के लिए कुछ कदम पीछे लेने पड़ते हैं. पार्टी के बड़े नेता यह मानते हैं कि आम आदमी पार्टी को मेयर बनाने का चांस मिलना चाहिए क्योंकि दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने चुनावों में बड़े-बड़े वादे किए हैं, जिनको असलियत बनाना मुमकिन नहीं है. बाद में इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. 

एक बीजेपी नेता ने कहा कि न तो किसी पार्षद और ना ही सांसद से यह कहा गया है कि आप के किसी पार्षद से संपर्क करें या उनको पार्टी में लाएं. चुनाव में जीते सभी 250 पार्षद चुनाव में वोट डालेंगे. नियम कहते हैं कि पहले साल मेयर महिला होगी. जबकि तीसरे साल रिजर्व कैटेगरी के शख्स को कुर्सी दी जाती है. 

आप को घेरना चाहती है बीजेपी

एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा कि भाजपा को लेकर विरोध का माहौल इसलिए बना क्योंकि केजरीवाल सरकार की ओर से फंड रोक दिए गए थे. इससे कर्मचारियों को सैलरी मिलने में देरी हुई और विकास कार्य भी रुक गए. ऐसी स्थिति फिर होगी अगर बीजेपी का मेयर बना. बीजेपी नेता के मुताबिक, 5 वर्ष में गाजीपुर लैंडफिल को साफ कर देने जैसे वादे व्यवहारिक नहीं हैं. आप द्वारा वादे पूरे न करने पर इसका फायदा अगले लोकसभा व विधानसभा चुनावों में बीजेपी को मिलेगा. इसके अलावा आम आदमी पार्टी और बीजेपी एक -दूसरे पर पार्षदों को लालच देने का आरोप लगा रही हैं. 

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