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Old Parliament Building: 1927 में बना था पुराना संसद भवन, क्या अब गिरा दिया जाएगा?

Parliament Building: नए संसद भवन का उद्घाटन होने की तारीख करीब आने के साथ ही लोगों के एक मन में सवाल भी जरूर आ रहा होगा कि उस पुराने संसद भवन का क्या होगा, जिसने कई ऐतिहासिक घटनाएं देखी तो आइए हम आपको इसका जवाब यहां पर दे रहे हैं.   

Old Parliament Building: 1927 में बना था पुराना संसद भवन, क्या अब गिरा दिया जाएगा?
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Devang Dubey Gautam|Updated: May 25, 2023, 09:24 AM IST

Old Parliament Building: 28 मई, 2023 ये वो तारीख होगी, जिसे भारत के इतिहास में 'स्वर्णिम अक्षरों' में लिखा जाएगा. पीएम मोदी इस दिन संसद के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन करेंगे. लोकसभा तथा राज्यसभा ने पांच अगस्त, 2019 को सरकार से संसद के नए भवन के निर्माण के लिए आग्रह किया था. इसके बाद 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का शिलान्यास किया गया था. नए संसद भवन का उद्घाटन होने की तारीख करीब आने के साथ ही लोगों के एक मन में सवाल भी जरूर आ रहा होगा कि उस पुराने संसद भवन का क्या होगा, जिसने कई ऐतिहासिक घटनाएं देखी. 

आपको वर्तमान संसद भवन के भविष्य के बारे में बताए उससे पहले नए संसद भवन के बारे में भी जान लीजिए. नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी और राज्यसभा में 384 सदस्य बैठ सकेंगे. संयुक्त सत्र के दौरान 1272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था होगी.

नए संसद भवन में लोकसभा को राष्ट्रीय पक्षी मयूर के आकार वहीं राज्यसभा को राष्ट्रीय पुष्प कमल के आकार और भूकंप रोधी डिजाइन में तैयार किया गया है. इनमें सदस्यों की प्रत्येक सीट डिजिटल प्रणाली और टच स्क्रीन से सुसज्जित है. यानी नया संसद भवन काफी हाईटेक है. 

वर्तमान संसद भवन का क्या होगा? 

लोकसभा सचिवालय द्वारा संसद भवन पर तैयार की गई पुस्तिका के अनुसार, नए संसद भवन के निर्माण के बाद भी पुराने भवन का उपयोग जारी रहेगा तथा दोनों भवन एक दूसरे के पूरक के रूप में काम करेंगे. साल 2021 मार्च में, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया था कि नए संसद भवन के निर्माण के बाद इस पुराने भवन की मरम्मत की जाएगी. इसका इस्तेमाल संसद से जुड़े कार्यक्रमों के आयोजन के लिए किया जाएगा.

संसद का वर्तमान भवन देश के सबसे भव्य भवनों में से एक है, जिसका निर्माण प्रसिद्ध वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर की निगरानी में किया गया था. इसकी आधारशिला 12 फरवरी 1921 को ‘द ड्यूट ऑफ कनॉट’ ने रखी थी. इस भवन का उद्घाटन भारत के तत्कानलीन वायसराय लार्ड इर्विन ने 18 जनवरी 1927 को किया था.

वर्तमान संसद भवन का निर्माण छह वर्ष में 83 लाख रूपये की लागत से हुआ था. सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली की पहली बैठक 19 जनवरी 1927 को हुई थी. वर्तमान भवन वृताकार है जिसका व्यास 560 फीट, परिधि एक तिहाई मील और क्षेत्रफल लगभग छह एकड़ है जिसमें 144 स्तम्भ लगे हैं एवं 12 द्वार हैं.

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