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Watch Video: अगर इन पौराणिक वाद्य यंत्र को नहीं बचाया, तो हो जाएंगे विलुप्त

उत्तरकाशी :आज हमारे पौराणिक वाद्य यंत्र ढोल, मसक, रणसिंगां आदि विलुप्ति की कगार पर है. इन वाद्य यंत्र को बजाने वाले वादकों का कहना है कि आज लोग पश्चिमी संस्कृति की चकाचौंध के पीछे भाग रहे हैं. इस दौरान हम अपनी पौराणिक संस्कृति को छोड़ रहे है. जिसके कारण वाद्य यंत्र की पौराणिक संस्कृति धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही है. दरअसल, आज आवश्यकता है इन्हें जीवित रखने की. ये जीवित रहेंगे तो, हमारी पौराणिक संस्कृति भी जीवित रहेगी. वहीं, उत्तरकाशी में पूर्व सैनिक कल्याण संघठन द्वारा सैनिक मेले में प्रतिवर्ष ढोल सागर प्रतियोगिता का आयोजन करके पौराणिक वाद्य यंत्र जीवित रहे इस ओर प्रयासरत है. इन वाद्य यंत्रों को बजाने वालों ने बताया कि पौराणिक वाद्य यंत्रों के बाजगी कहते हैं. उन्होंने बताया कि हमारी रोजी-रोटी पुरातन समय से इन्हीं वाद्य यंत्रों पर चल रही है. आज जब पाश्चात्य संस्कृति के कारण वाद्य यंत्र विलुप्त हो रहे हैं, तो अब हमारे सामने रोजी-रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है. हमारे बच्चे भी इन वाद्य यंत्रों को बजाने की रूचि नहीं रखते हैं. देखें वीडियो...

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