Uttarakhand Snowfall in New Year 2023 : उत्तराखंड में दिसंबर में बर्फबारी न होने से पर्यटकों के साथ स्थानीय होटल रेस्तरां कारोबारियों में निराशा है. उत्तराखंड में दिसंबर का महीना गुजरने वाला है, लेकिन अभी तक ऊंचाई वाले स्थानों पर वैसी बर्फबारी देखने को नहीं मिल रही है, जैसे कि क्रिसमस और न्यू ईयर के मौके पर देखने को मिलती थी. पहाड़ों में सर्दियों पर होने वाली बारिश भी गायब है.
सर्दियों का ये ड्राई सीजन होटल रेस्तरां और अन्य टूरिस्ट प्लेस का संचालन करने वालों को झटका दे रहा है,जो इस मौसम में सैलानियों का जोरदार तरीके से स्वागत करते हैं. मौसम वैज्ञानिक भी इसे खतरे की घंटी मान रहे हैं. खेती-किसानी के साथ ही ग्लेशियर की बिगड़ती सेहत से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट का कहना है कि बर्फबारी ग्लेशियर के लिए फीडिंग का काम करती है. सर्दियों के मौसम में ग्लेशियर को स्नोफॉल से बर्फ नहीं मिलेगी तो इसका असर ग्लेशियर की सेहत पर भी पड़ेगा. हिमालय क्षेत्र के ग्लेशियरों के लिए हिमपात जरूरी है. लेकिन ग्लेशियर पिघलते चले जा रहे हैं और स्नोलाइन भी पीछे हटती जा रही है.
ग्लेशियर (Glaciers) भी सिकुड़ रहे
डॉ. एमपीएस बिष्ट की मानें तो खुद उनके द्वारा की गई रिसर्च में भी कुछ ग्लेशियर में स्नोलाइन पीछे खिसकना पाया गया है. अगर ग्लेशियर के पिघलने की दर यही रहती है तो इससे उनकी सेहत पर विपरीत असर पड़ेगा. हिमालय क्षेत्र की अधिकांश नदियां ग्लेशियर से ही निकलती है इन सभी प्रमुख नदियों का उद्गम स्रोत भी ग्लेशियर ही है. अगर ग्लेशियर पिघलते हैं तो इनका असर नदियों में पानी की मात्रा पर भी पड़ना लाजिमी है. ये कह पाना मुश्किल है कि जलवायु परिवर्तन का कितना असर पड़ रहा है.
चमोली के औली में आखिरकार हुई बर्फबारी
चमोली जिले के औली में 30 दिसंबर को आखिरकार हल्की बर्फ़बारी देखने को मिली, जो उम्मीद से कम है, लेकिन चेहरों पर खुशी है. विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल औली में हल्की बर्फबारी से देश के अनेक राज्यों से नए साल और 31 दिसंबर के बाद नए साल का जश्न मनाने आए पर्यटकों के चेहरे से खुशी झलक उठी है.