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उत्तराखंड में दर्जाधारी मंत्री बनाने की कवायद तेज, भाजपा कितने कार्यकर्ताओं को सरकार में दे सकती जगह?

Uttarakhand: भाजपा को प्रदेश में मिली इस प्रचंड जीत में पार्टी कार्यकर्ताओं की भी भूमिका अहम रही. एक विधानसभा सीट पर भाजपा के तकरीबन आठ से 10 कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी. इस तरह से 70 सीटों पर यह संख्या तकरीबन 800 के आस-पास थी. 

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फाइल फोटो.
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Ram Anuj|Updated: Jun 25, 2022, 08:03 PM IST

राम अनुज/देहरादून: उत्तराखंड में भाजपा सरकार के गठन के 3 महीने का वक्त पूरा होने जा रहा है. प्रदेश में दायित्व धारी (दर्जाधारी राज्य मंत्री) बनाने की भी चर्चाएं तेज हो गई हैं. ऐसे में वे कार्यकर्ता जिन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला. जिन्होंने विधानसभा चुनाव जिताने में अहम भूमिका निभाई उन्हें दर्जाधारी राज्यमंत्री के पद से नवाजा जा सकता है. 23 मार्च 2022 को युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री के तौर पर कमान संभाली थी. 

एक विस सीट पर करीब 10 कार्यकर्ताओं ने पेश की थी दावेदारी 
भाजपा को प्रदेश में मिली इस प्रचंड जीत में पार्टी कार्यकर्ताओं की भी भूमिका अहम रही. एक विधानसभा सीट पर भाजपा के तकरीबन आठ से 10 कार्यकर्ताओं ने टिकट के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी. इस तरह से 70 सीटों पर यह संख्या तकरीबन 800 के आस-पास थी. मगर पार्टी ने विधानसभा में 70 सीटों पर 70 कार्यकर्ताओं को टिकट दिया. जिसमें से 47 ने जीत हासिल की और 23 चुनाव हार गए. मगर जिन कार्यकर्ताओं ने अपने क्षेत्रों में अपने प्रत्याशियों को जिताने में भूमिका निभाई अब उन्हें दर्जा धारी राज्य मंत्री के पद से नवाजने की भी कवायद चल रही है. 

कितने कार्यकर्ताओं को सरकार में मिलेगा दायित्व यह सीएम के विवेक पर निर्भर 
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रवींद्र जुगरान का कहना है कि यह मुख्यमंत्री के विवेक पर है कि कितने कार्यकर्ताओं को सरकार में दायित्व देते हैं यानी दर्जा धारी मंत्री बनाते हैं. उनका कहना है कि दर्जा धारी मंत्री बनने पर अधिकार भी मिलना चाहिए. वहीं पूर्व दर्जाधारी सुभाष बड़थ्वाल का कहना है कि जिस तरह से कार्यकर्ताओं ने चुनाव में अपनी भूमिका निभाई है ऐसे में उन्हें सरकार में भी जिम्मेदारी मिलनी चाहिए. 

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने उठाया सवाल 
आपको बता दें कि प्रदेश में तकरीबन ढाई सौ दर्जाधारी राज्यमंत्री आसानी से बन सकते हैं, जिसमें आयोग निगम और परिषद शामिल हैं. कुछ सदस्य बनाए जा सकते हैं. इस तरह से भाजपा अपने कर्मठशील पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को सरकार में समायोजित कर सकती है. हालांकि, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा सवाल उठा रहे हैं. कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि अभी तक तो अधिकारियों के बीच में तालमेल नहीं बन पा रहा है. आखिर कैसे भरोसा किया जाए कि दर्जाधारी मंत्रियों, सरकार और अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल होगा. 

वहीं, भू-कानून को लेकर आंदोलन कर रहे शंकर सागर का कहना है कि उत्तराखंड में दो प्रशासनिक मंडल हैं, कुमाऊं और गढ़वाल. ऐसे में अगर कर्मठशील पदाधिकारियों को दर्जाधारी मंत्री बनाया जाता है, तो इससे सरकार के कामकाज में तेजी देखी जा सकती है. फिलहाल देखना होगा कि दर्जाधारी राज्य मंत्रियों का बंटवारा कब तक होता है. मगर जिस तरह से कार्यकर्ताओं की निगाहें लगी हैं ऐसे में देखना होगा कि भाजपा कितने कार्यकर्ताओं को सरकार में जगह देती है?

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