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Mana Village : महाभारत और भगवान गणेश से जुड़ा वो माणा गांव जहां पीएम मोदी पहुंचे, उत्तराखंड में चीन सीमा के निकट आखिरी गांव

Mana Village in Uttarakhand : पीएम मोदी ने उत्तराखंड में केदारनाथ बद्रीनाथ के दर्शन के साथ माणा गांव का दौरा किया

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Mana Village Uttarakhand China Border
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Amrish Kumar Trivedi|Updated: Oct 21, 2022, 04:30 PM IST

Mana Village in Uttarakhand Near Kedarnath Badrinath: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) शनिवार को उत्तराखंड के माणा गांव (Mana Gaon) पहुंचे. प्रधानमंत्री यहां जनसभा करेंगे, जो ऐतिहासिक पौराणिक स्थल होने के साथ सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चीन की सीमा (China Border) के निकट भारत का आखिरी गांव भी है.पौराणिक मान्यता के साथ इस गांव का संबध भगवान गणेश से है. यह भी कहा जाता है कि महाभारत (Mahabharat) का युद्ध खत्म होने और राजपाट का सुख भोगने के बाद माणा गांव से होकर ही पांडव स्वर्ग गए थे. माणा का नाम राजा मणिभद्र देव के नाम पर पड़ा था. मान्यता है कि धरा के सबसे पवित्र धाम केदारनाथ बद्रीनाथ के निकट इस गांव की यात्रा करने से लोग शापों और पापों से मुक्त हो जाते हैं. यहां जिसके भी पैर पड़ते हैं, उसकी गरीबी दरिद्रता दूर हो जाती है. माणा गांव पवित्र बद्रीनाथधाम से महज चार किलोमीटर की दूरी पर है. इस गांव में व्यास गुफा, गणेश गुफा, प्राचीन सरस्वती मंदिर, भीम पुल और वसुधारा जैसे तीर्थस्थल भी हैं. 

माणा गांव पर बाबा भोले भगवान शिव का हाथ है. केदारनाथ बद्रीनाथ के दर्शन और बाबा के आशीर्वाद से यहां आने वाला मोक्ष प्राप्ति करता है. यही वजह है कि बड़ी तादाद में तीर्थयात्री और सैलानी यहां घूमने आते हैं. 

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माणा गांव समुद्र तल से करीब 19 हजार फीट की ऊंचाई पर है. उत्तराखंड के सबसे ऊंचे स्थानों में एक माणा 6 माह बर्फ से लदा रहता है.केदारनाथ-बद्रीनाथ के कपाट (Kedarnath Badrinath Kapat) खुलने के वक्त ही यहां आना संभव हो पाता है. माणा की छोटी छोटी पहाड़ियां सीधी और शुष्क हैं.सर्दियों के पहले माणा के गांव वाले चमोली (Chamoli) के निकटवर्ती गांव में चले जाते हैं. लेकिन अब वाइब्रेंट विलेज (Vibrant Village) योजना के तहत सरकार सीमावर्ती गांवों में सड़क बिछाने के साथ अन्य तरह की सुविधाएं विकसित कर रही है. सेना )Army Camp) भी माणा गांव में कैंप करती है. माणा में एक  स्कूल है, जो 6 माह इसी गांव में और तो 6 माह चमोली में संचालित होता है.

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बालछडी जैसी जड़ी-बूटी के लिए भी प्रसिद्ध

हिमालय क्षेत्र के माणा गांव में जड़ी-बूटी भी मिलती हैं. इनमें बालछड़ी भी है, जो बालों में रूसी खत्म करने के साथ स्वास्थ्य के लिए जादुई मानी जाती है. खोया की पत्ती खाने से पेट निरोगी रहता है. जादुई पौधे पीपी की जड़ भी प्रसिद्ध है. इसकी जड़ को उबाल कर पीने से उदर रोग दूर हो जाते हैं. पाखान जड़ी को नमक व घी के साथ चाय के साथ पीने से पथरी दूर हो जाती है.

माणा की आबादी 500 के करीब

माणा गांव की जनसंख्या 500 के करीब है. 50 से 60 लकड़ी के दोमंजिला घर यहां पर बने हैं, जबकि इन घरों की छतें पत्थरों की होती हैं, ताकि बर्फ से वो ध्वस्त न हो जाएं और भूकंप को भी वो सह लें. इन घरों की ऊपर की फ्लोर में पशु रखे जाते हैं. चाय प्रसिद्ध होने के साथ माणा में चावल से शराब बनाई जाती है.रडांपा जनजाति को सरकार ने शराब उत्पादन की अनुमति दे रखी है.

वेदव्यास ने की थी वेदों की रचना

व्यास गुफा की मान्यता है कि महर्षि वेदव्यास ने यहां पुराणों की रचना की थी और वेदों को चार हिस्सों में बांटा था. गणेश गुफा को लेकर पौराणिक कथा कहा है कि महाभारत औरपौराणिक ग्र्थों की रचना को उच्चारण भगवान गणेश ने किया था और वेदव्यास ने इन्हें लिखा था. गणेश गुफा में एक पवित्र शिला है. इस पर प्राचीन भाषा में वेदों का अर्थ समझाया गया है. भीम पुल को लेकर मान्यता है कि पांडव यहीं से स्वर्ग के रास्ते अलकापुरी गए थे. कुछ लोग स्वर्ग जाने या मोक्ष के लिए गोपनीय तरीके से यहां आने की कोशिश करते हैं.

माणा में अप्रैल मई में बर्फ पिघलने Snowfall) के बाद कृषि कार्य भी होता है.आलू की खेती के जौ और थापर यहां उगाया जाता है. पवित्र भोजपत्र (Bhojpatra) भी माणा गांव में मिलते हैं.मान्यता है कि महापुरुषों ने इन भोजपत्रों में पौराणिक ग्रंथों को रचा था.खेती के साथ पशुपालन भी होता है.सर्दियों में यहां आबादी काफी कम हो जाती है. 

आर्मी का कैंप भी मौजूद

भारत-तिब्बत सीमा के निकट माणा गांव में सरकार लोगों को सीमावर्ती क्षेत्र में कैसे रहा जाए औऱ कैसे आसपास की गतिविधियों पर नजर रखी जाए, सेना इसकी ट्रेनिंग उन्हें दे रही है. माणा में  आईटीबीपी भारत-तिब्बत सीमा सुरक्षा बल का सैन्य ठिकाना है. स्थानीय युवकों को भी ITBP में शामिल किया गया है. माणा में बिजली, पानी के साथ गैस आपूर्ति की सुविधाएं भी सरकार ने मुहैया कराई हैं

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