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Uttrakhand: पहाड़ों के लोक पर्व फूलदेई का हुआ आगाज, जानिए क्यों होता है इतना खास

Phuldei 2023: इस बार 15 मार्च यानी आज से उत्तराखंड का लोकपर्व फूलदेई त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. आइए बताते हैं क्या कुछ है खास...

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Uttrakhand: पहाड़ों के लोक पर्व फूलदेई का हुआ आगाज, जानिए क्यों होता है इतना खास
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Zee Media Bureau|Updated: Mar 15, 2023, 10:34 AM IST

पौड़ी गढ़वाल: चैत्र मास की संक्राति से उत्तराखंड के लोकपर्व फूलदेई का आज से विधिवत शुभारंभ हो गया है. श्रीनगर में भी फूलदेई त्योहार को लेकर लोगों में खासा उत्साह दिखा, पारंपरिक वेश-भूषा के साथ छोटे-छोटे बच्चों ने नगर क्षेत्र में घूम कर लोगों के आंगन में फूल डाले. वहीं स्थानीय लोगों ने भी पांरपरिक लोक गीतों के साथ शेभा यात्रा निकालकर लोगों को फूलदेई पर्व की शुभकामनांए दी.

छोटे-छोटे बच्चे को कहा जाता है फुलारी
आपको बता दें कि फूलदेई उत्तराखंड के लोक त्योहारों में से एक है यह त्योहार चैत्र मास शुरू होने से ओर हिन्दू नव वर्ष के आने तक मनाया जाता है. इस दौरान छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें फुलारी कहा जाता है, वह घर-घर जाकर आंगन में फूल डालते हैं. इस दौरान वो फूलदेई पर्व की शुभकामनाएं भी देते हैं. प्रकृति के प्रति प्रेम का प्रतिक ये पर्व बड़े धूम-धाम के साथ श्रीनगर गढ़वाल समेत उत्तराखंड में मनाया जाता है.

जानिए क्या है अनोखी परंपरा 
दरअसल, प्योली के पीले रंग के फूल खिलना बसंत ऋतु के आने के प्रतीक हैं. फिलहाल, पहाड़ों में बुरांश और प्योली के फूल खिले हुए हैं. फूलदेई त्योहार आमतौर पर छोटे बच्चों का पर्व है. सर्दियों का मौसम जब निकल जाता है, तो उत्तराखंड के पहाड़ पीले फूल से लकदक हो जाते हैं. इस फूल का नाम प्योली है. सुख-समृद्धि का प्रतीक फूलदेई त्योहार उत्तराखंड की गढ़ कुंमाऊ संस्कृति की पहचान है. 

इस त्योहार में घर-घर में फूलों की बारिश होती रहे, हर घर सुख-समृद्धि से भरपूर हो, इसी भावना के साथ बच्चे अपने गांवों के अलावा आस-पास के घरों की दहजीज पर मंगल कामना करते हुए फूल गिराते हैं. वहीं, घर की मालकिन बच्चों को फूल वर्षा के बदले चावल, गुड़ के साथ दक्षिणा के रूप में रुपये भी देती हैं. इस बार 15 मार्च यानी आज से उत्तराखंड का ये त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है.

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