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India Last Village: देश का आखिरी गांव कैसे बना भारत का पहला गांव, जानिए कैसे हुआ ये बदलाव

21 अक्टूबर 2022 को माणा में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा माणा को भारत के अन्तिम गांव की बजाय देश का पहला गांव की बात पर सहमती जताई.  प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तो उनके लिए भी सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है.

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India Last Village (File Photo)
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Zee News Desk|Updated: Apr 24, 2023, 10:43 PM IST

Uttarakhand/ Chamoli: आप कभी भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने गए होंगे तो आप जरुर ही माणा गांव भी गए होंगे. माणा गांव में लगा आखिरी गांव का बोर्ड तो आपने जरुर देखा ही होगा. दरअसल माणा गांव के बाद हिमालय के पहाड़ हैं और उसके बाद तिब्बत. इसलिए माणा को भारत का अतिंम गांव बोलते हैं. आज सीमा सड़क संगठन ने वो आखरी गांव वाला बोर्ड हटा दिया है. अब आपको आखरी गांव के बोर्ड की जगह भारत के पहले गांव का साइन बोर्ड दिखेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने किया बड़ा बदलाव

 21 अक्टूबर 2022 को माणा में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा माणा को भारत के अन्तिम गांव की बजाय देश का पहला गांव की बात पर सहमती जताई.  प्रधानमंत्री ने कहा कि अब तो उनके लिए भी सीमाओं पर बसा हर गांव देश का पहला गांव ही है. सीमा के नजदीक के इलाकों को आखिरी मानकर नजर अंदाज किया जाता था. प्रधानमंत्री आगे कहते हैं कि हमने वहां से देश की समृद्धि का आरंभ मानकर शुरू किया. देश- दुनिया के लोग माणा घुमने आएं. यहां कई तरह के डिजिटल टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है. यह सब आपको देखना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले भी 21 वीं सदी के तीसरे दशक को उत्तराखण्ड का दशक बता चुके हैं. 

क्या बोले सीएम धामी

अपने भाषण में  CM पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के सीमावर्ती क्षेत्र आज वास्तव में और अधिक जीवंत हो रहे है. इन इलाकों के विकास की गति बढ़ी है. इसके लिये वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम की शुरूआत की गई है. उन्होंने कहा कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का उद्देश्य सीमावर्ती गांवों का विकास करना. ग्रामवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना. यहां की स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को बढ़ावा है. देश और दुनिया के लोग यहां आए ये सरकार का उद्देश्य है. समुदाय आधारित संगठनों. सहकारी समितियों और गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से एक गांव, एक उत्पाद पर जोर दिया जा रहा है. 

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धामी आगे कहते हैं कि वाइब्रेंट विलेज कार्य योजनाएं जिला प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायतों के सहयोग से तैयार की गई हैं.  इससे इन क्षेत्रों के उत्पादों जड़ी-बूटियों, सेब, राजमा सहित फसलों के साथ-साथ यहां विकास की संभावनाओं को पंख लगेंगे. यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा. इन क्षेत्रों में एक गांव, एक उत्पाद योजना के तहत ऊनी वस्त्रों का निर्माण किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह योजना सीमांत क्षेत्रों से पलायन को रोकने में मददगार होगी. हमारे सीमांत क्षेत्रवासी देश की सुरक्षा में भी भागीदारी निभा सकेंगे. 

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