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Uttrakhand: राजनीतिक इतिहास में पहली बार, एक छत के नीचे BJP और कांग्रेस के पूर्व विधायक, बनने लगे नए समीकरण

Uttrakhand News: उत्तराखंड में दो धुर विरोधी पार्टियों के पूर्व विधायक एक साथ आकर एक संगठन बना रहे हैं. जानिए पूरा मामला...

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Uttrakhand: राजनीतिक इतिहास में पहली बार, एक छत के नीचे BJP और कांग्रेस के पूर्व विधायक, बनने लगे नए समीकरण
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Zee Media Bureau|Updated: Nov 25, 2022, 04:31 PM IST

कुलदीप नेगी/देहरादून: उत्तराखंड (Uttarakhand) के राजनीतिक इतिहास में पहली बार पूर्व विधायक एकजुट हो रहे हैं. मजे की बात ये है कि इसमें बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही कुछ पूर्व विधायक शामिल है. कहने को तो ये कहा जा रहा है कि ये लोग सरकार को सुझाव देने का काम करेंगे, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे.

कांग्रेस और बीजेपी दोनों के कुछ पूर्व विधायक एक साथ
आपको बता दें कि दो धुर विरोधी पार्टियों के पूर्व विधायक अगर एक मंच पर आकर एक संगठन बनाए तो इसे आप क्या कहेंगे. उत्तराखंड में ऐसा ही कुछ हो रहा है, कांग्रेस और बीजेपी दोनों के कुछ पूर्व विधायक एक छत के नीचे आकर पूर्व विधायक संगठन बना रहे हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे लाखी राम जोशी को इसका अध्यक्ष बनाया गया है.

मामले में लाखीराम जोशी ने दी जानकारी 
इस मामले में लाखीराम जोशी ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पूर्व विधायक खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में उपेक्षित विधायकों के द्वारा ये संगठन बनाया गया है. यह संगठन सरकार को सुझाव देने का भी काम करेगा. इसके अलावा राज्य से जुड़े जनहित के मुद्दों को लेकर सरकार के समक्ष सुझाव रखेगा. साथ ही भविष्य में आवश्यकता पड़ी तो चुनाव मैदान में भी नजर आएंगे.

इन सबका है साफ इशारा 
आपको बता दें कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों का ही कहना है कि उनके पार्टी संगठन में पूर्व विधायकों की कोई उपेक्षा नहीं की जाती है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन का कहना है की पूर्व विधायकों का यह संगठन महज एक प्रेशर ग्रुप है और कुछ नहीं. वहीं, बीजेपी ने भी साफ इशारा कर दिया है कि पार्टी संगठन के दायरे में रहकर ही पार्टी के कार्यकर्ता को काम करना होता है. बीजेपी में किसी की भी उपेक्षा नहीं होती. मतलब साफ है अगर कोई पूर्व विधायक बीजेपी की पार्टी लाइन से बाहर जाएगा तो संगठन उसकी खैर खबर जरूर लेगा.

मामले को लेकर हो रही चर्चा
दरअसल, देखने वाली बात ये होगी कि जब दोनों ही पार्टियों ने अपना-अपना रुख दिखा दिया है, तो फिर पूर्व विधायकों का यह संगठन कहां तक टिक पाता है. कहां तक ये गैर राजनीतिक रह पाता है. इस मामले को लेकर चर्चा ये भी है कि प्रदेश में कोई तीसरा विकल्प खड़ा कर पाता है या नहीं.

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