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Uttrakhand News: मदरसों को किसी बोर्ड से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है: अरशद मदनी

UP News: जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा है कि मदरसों को किसी बोर्ड से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है. जानिए पूरा मामला...

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Uttrakhand News: मदरसों को किसी बोर्ड से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है: अरशद मदनी
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Zee Media Bureau|Updated: Oct 30, 2022, 04:57 PM IST

राम अनुज/देहरादून:  उत्तर प्रदेश में मदरसों के सर्वे का काम लगभग पूरा हो चुका है. उत्तराखंड में भी मदरसों का सर्वे जारी है. यूपी में 12 बिंदुओं पर हुए सर्वे में प्रदेश के 7500 मदरसे गैरमान्यता प्राप्त मिले हैं. अकेले सहारनपुर में ही 307 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले हैं. सर्वे के दौरान कई चौकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. इन सबके बीच देवबंद से चौकाने वाला बयान सामने आया है. जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा, ''मदरसे कौम की मदद से चलते हैं. किसी बोर्ड से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है.''

दारुल उलूम में सम्मेलन आयोजित
आपको बता दें कि देवबंद के दारुल उलूम में एक सम्मेलन आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में देशभर के मदरसों के संचालकों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर मदरसों के विकास को लेकर बात की गई. खास बात ये है कि सम्मेलन में देशभर के साढ़े चार हजार मदरसों के संचालकों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया. इस दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कई चौकाने वाले बयान दिए है. वहीं, ये बयान तब आए हैं, जब गैर मान्यता प्राप्त मदरसों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है.

जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा
मीडिया से बातचीत करते हुए अरशद मदनी का कहा, ''जिन-जिन राज्यों में मदरसों का बोर्ड के साथ में टाइअप हुआ है, वहां मदरसों के हालात बिगड़े हैं. उन्होंने कहा कि मदरसों को किसी भी बोर्ड से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा उन्हें किसी तरह की सरकारी मदद की जरूरत भी नहीं है. उनका कहना है कि मदरसे कौम की मदद से चलते हैं. इसमें किसी बोर्ड से मान्यता लेने की जरूरत नहीं है.  उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में सरकार ने सर्वे करा लिया सर्वे में क्या निकला है, सबके सामने है.''

दारुल उलूम सोसायटी से 1866 मदरसे पंजीकृत 
आपको बता दें कि दारुल उलूम सोसायटी से 1866 मदरसे पंजीकृत हैं. जिसने कभी भी यूपी-केंद्र सरकार से अनुदान नहीं लिया है. फिलहाल, दारुल उलूम में लगभग 300 कर्मचारी हैं, इसमें 100 उस्ताद शामिल हैं. दारुल उलूम का सारा खर्चा चंदे यानी जकात से ही आता है. जानकारी के मुताबिक मान्यता ना होने पर सरकारी अनुदान और स्कॉलरशिप मदरसों को नहीं मिल पाएगी. फिलहाल, ऐसे मदरसों की रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है. 

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