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यूपी के शर्मीले विधायकों की तलाश, 100 से ज्यादा MLA की सूची तैयार कर रही विधानसभा, जानें पूरा माजरा

सदन में ऐसे विधायक जिन्होंने 18वीं विधानसभा के बजट सत्र से लेकर मानसून सत्र तक चुप्पी साधे रखी, उनकी चुप्पी तोड़ने के लिए विधानसभा में एक विशेष सत्र ....

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यूपी के शर्मीले विधायकों की तलाश, 100 से ज्यादा MLA की सूची तैयार कर रही विधानसभा, जानें पूरा माजरा
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Ajeet Singh|Updated: Oct 05, 2022, 05:53 PM IST

लखनऊ: महिला विधायकों के लिए एक दिन का विशेष सत्र आयोजित कर इतिहास रचने वाले यूपी विधानमंडल में एक और नई पहल होने जा रही है. अब एक बार फिर यूपी विधानमंडल (UP Vidhanmandal) नई पहल करने जा रहा है. सदन में ऐसे विधायक जिन्होंने 18वीं विधानसभा के बजट सत्र से लेकर मानसून सत्र तक चुप्पी साधे रखी, उनकी चुप्पी तोड़ने के लिए विधानसभा में एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक करीब सौ विधायक ऐसे ही हैं जो कुछ नहीं बोले.

विधायकों के एक दिन का विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा
बताया जा रहा है कि ऐसे करीब 100 से अधिक विधायक हैं जिन्हें सदन में या तो बोलने का अवसर ही नहीं मिला या उन्होंने बोलने का कोई प्रयास ही किया. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अफसरों को निर्देश दिया यह कि, ऐसे संकोची विधायकों की तलाश की जाए और उनकी लिस्ट बनाई जाए.उनके बारे में सारा ब्योरा एकत्र किया जाए. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि, आने वाले शीतकालीन सत्र में सदन में न बोलने वाले विधायकों के एक दिन का विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा.

100 से ज्यादा विधायक
सूत्रों से मिला जानकारी के मुताबिक सत्ता पक्ष और विपक्ष के 100 से अधिक ऐसे विधायक हैं जिन्हें सदन में या तो बोलने का अवसर नहीं मिला या उन्होंने प्रयास ही नहीं किया.  महाना का कहना है कि ऐसे विधायकों को अवसर देने के लिए ही नई पहल की जा रही है.

5 दिन का चला था मानसून सत्र

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में 5 दिन का मानसून सत्र चला था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की पहल से एक दिन विधानसभा सत्र का महिलाओं के लिए रखा गया था. सवाल पूछने में असमौली से सपा विधायक पिंकी यादव सबसे आगे रहीं. उन्होंने 2 तारांकित और 4 अतारांकित सवाल पूछे थे. इसके साथ ही मछलीशहर की सपा विधायक डॉ रागनी सोनकर को भी बोलते हुए देखा गया. 19 सितंबर से 23 सितंबर तक मानसून सत्र चलने के दौरान कई ऐसे विधायक है, जिनको बोलने का मौका नहीं मिला.

 

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