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Unnao Rape Case: पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत अवधि घटी, बेटी की शादी के लिए मोहलत मिली

उन्‍नाव दुष्‍कर्म पीड़िता की ओर से दायर याचिका के बाद शुक्रवार को दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय ने लिया फैसला. 

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Unnao Rape Case: पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत अवधि घटी, बेटी की शादी के लिए मोहलत मिली
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Zee Media Bureau|Updated: Jan 27, 2023, 09:27 PM IST

Unnao Rape Case: उन्‍नाव दुष्‍कर्म मामले में दोषी पूर्व विधायक व भाजपा से निष्‍कासित कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत उनकी बेटी की शादी की तारीखों तक ही सीमित रहेगी. दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय ने शुक्रवार को इस संबंध में अपना आदेश जारी किया. बता दें कि कुलदीप सिंह सेंगर को 27 जनवरी से 10 फरवरी तक अंतरिम जमानत दी गई है. दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय के मुताबिक, कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत अवधि को दो अंतरालों में विभाजित किया गया है. इसके तहत कुलदीप सिंह सेंगर को पहले 27 से 30 जनवरी तक अंतरिम जमानत दी गई है. इसके बाद वह पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर देगा. इसके बाद 6 से 9 फरवरी तक फिर से रिहा होगा. वहीं,10 फरवरी को पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करना होगा. मामले में सेंगर आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. 

दुष्‍कर्म पीड़िता ने जताई थी यह आशंका 
यह फैसला उन्‍नाव दुष्‍कर्म पीड़िता कुलदीप सेंगर को अंतरिम जमानत देने के आदेश के बाद आया है. दुष्‍कर्म पीड़िता की ओर से बुधवार को याचिका दायर की गई थी. इसमें कहा गया था कि उसे सूचना मिल रही थी कि वह अपनी रिहाई की अवधि के दौरान उसे और उसके परिवार को नुकसान पहुंचा सकता है. 

पुलिस की देखरेख में रहेगा पूर्व विधायक 
सेंगर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एन. हरिहरन ने कहा कि न्यायाधीशों ने उन्हें कुछ शर्तों पर जमानत दी है. उन्होंने कहा कि रिहाई के बाद सेंगर को लखनऊ एसआई को रिपोर्ट करना होगा और मोबाइल नंबर का पिन बताना होगा, ताकि वह जहां भी जाए उसे ट्रैक किया जा सके.

पीड़ित परिवार को मिल रहीं धमकियां 
वहीं, पीड़िता के अधिवक्ता महमूद प्राचा ने कहा कि सेंगर को अंतरिम जमानत पर रिहा करने के बजाय हिरासत पैरोल प्रदान किया जा सकता है. प्राचा ने दलील दी कि पीड़ित परिवार के पास सुरक्षा होने के बावजूद धमकियां दी जा रही हैं. उन्होंने कहा कि मामले से जुड़े अन्य वकीलों ने खतरे की आशंका जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. 

30 जनवरी को तिलक और 8 को होनी है शादी 
प्राचा ने कहा कि अगर उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए जमानत मांगी है तो उन्हें केवल समारोह के दिनों के लिए ही जमानत दी जानी चाहिए. इतने दिन क्यों? अदालत ने कहा कि पीड़ित परिवार को कुछ खतरे की आशंका हो सकती है.
अदालत ने कहा कि गोरखपुर और लखनऊ में क्रमश: 30 जनवरी (तिलक समारोह) और 8 फरवरी (शादी) दो मुख्य कार्य हैं और दोनों कार्यों के बीच अंतर है. 

एक हफ्ते पहले पीड़िता ने किया था विरोध 
जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की खंडपीठ ने पीड़िता की अर्जी पर नोटिस जारी कर सीबीआई से जवाब मांगा था. एक हफ्ते पहले पीड़िता ने सेंगर को अंतरिम जमानत देने के अदालत के फैसले का विरोध किया था. उसने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आशंका जताई थी कि उसकी और उनके परिवार के सदस्यों की जान खतरे में है. 

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