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Tetanus Facts: टिटनेस से होती है दर्दनाक मौत, जानिए क्यों मौत की भीख मांगता है मरीज

Tetanus Injection: टिटनेस से मरीज की दर्दनाक मौत होती है. ऐसे में पीड़ित मौत की भीख मांगते हैं... 

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 Tetanus Facts: टिटनेस से होती है दर्दनाक मौत, जानिए क्यों मौत की भीख मांगता है मरीज
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Ujjwal Kumar Rai|Updated: Dec 27, 2022, 03:23 AM IST

Tetanus Disease: बचपन में अगर हमें लोहे की जंग लगी किसी धातु से कटने या चोट लगने पर मम्मी-पापा या घर के बड़े फौरन टिटनेस का टीका लगवाते थे. क्या आपको पता है कि घायल व्यक्ति को अगर टिटनेस का टीका नहीं लगा तो क्या होगा. दरअसल, समय पर टीका न लगने पर आपको टिटनेस हो सकता है. अगर एक बार टिटनेस हो गया, तो डॉक्टर भले ही आपको बचाने में कामयाब हो जाएं, लेकिन पीड़ित व्यक्ति चाहेगा कि मर ही जाते. आइए बताते हैं ऐसा क्यों... 

दुनिया की सबसे दर्दनाक मौत
आपको बता दें कि टिटनेस से मरना दुनिया की सबसे दर्दनाक मौत हो सकती है. दरअसल, हमारी मांसपेशियां सिकुड़ती और फैलती हैं, इसके बाद एक केमिकल रिलीज होता है, जो हमारी मांसपेशियों को आराम देता है. वहीं, जब टिटनेस होता है, तो ये इस केमिकल को निकलने से रोक देता है. ऐसे में मांसपेशियां केवल सिकुड़ती ही जाती हैं. मांसपेशियां दोबारा नहीं फैलती इसलिए आराम तक नहीं मिलता.

सिकुड़ तोड़ देगी जांघ की हड्डियां
दरअसल, हमारे पीठ की मांसपेशियां पेट की मांसपेशियों से बहुत मजबूत होती हैं. इसलिए रोगी की पीठ झुक जाती है. अंत समय में केवल पीड़ित के सिर का पिछला हिस्सा और उसकी एड़ी जमीन को छूती है. वहीं, अगर रोगी की मांसपेशियां मजबूत हों, तो उसकी हालत बेहद खराब हो सकती है. उसके पैर की मांसपेशियां इतनी ज्यादा सिकुड़ जाएंगी कि उसकी जांघ की हड्डियों को तोड़ देंगी. इसका असर मानव शरीर की सबसे मजबूत हड्डी जांघ की हड्डियों पर ऐसे होगा. ऐसे में आप समझ सकते हैं की शरीर के बाकि हिस्सों पर इसका क्या असर होगा.

मात्र तीन दिन में पीड़ित का हो जाता है बुरा हाल
जरा सोचकर देखिए आपके शरीर की हर मांसपेशी में बीते कई दिनों से अनैच्छिक ऐंठन हो रही हो. वहीं, इससे बचने के आप चाह कर भी कुछ न कर सकें. आप खुद को बेबस महसूस करेंगे. वहीं, धीरे-धीरे आपका डायाफ्राम भी सिकुड़ता जाते हैं, फिर दोबारा फैलता नहीं हैं. इसलिए सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. मात्र तीन दिन में पीड़ित इस अवस्था में पहुंच जाता है. 

कई लोग वैक्सीन से डरते हैं
आपको बता दें कि टिटनेस से बचाव के लिए वैक्सीन ही उपाय है. हालांकि, कई ऐसे लोग हैं, जो वैक्सीन से डरते हैं. जानकारी के मुताबिक साल 2018 में एक महिला ने टिटनेस से पीड़ित अपने बच्चे को वैक्सीन लगवाने से साफ मना कर दिया. इसके बाद कुछ समय बीता. कुछ दिनों के बाद उसकी हालत खराब होने लगी. वहीं, लगभग दो महीने के इलाज के बाद बच्चा मरने से बचा. 

जंग वाली कील में ये बैक्टीरिया हो सकते है
आपको बता दें कि टिटनेस ''क्लोस्ट्रीडियम टेटानी'' बैक्टीरिया से होता हैं. खास बात ये है कि ये मिट्टी में मिलने वाला एक सामान्य जीवाणु है. जानकारी के मुताबिक जंग से टिटनेस नहीं होता है, लेकिन जंग वाली कील में ये बैक्टीरिया हो सकते हैं. अगर वह मिट्टी के संपर्क में रहा हो. अगर हमें किसी धातु से खरोंच आती है, तो टेटनस हो सकता है, लेकिन वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन के कारण टिटनेस होने की संभावना काफी कम है. 

वहीं, नाखून या त्वचा में घुसकर घाव हुआ है, तो गहराई तक ऑक्सीजन मुक्त वातावरण बन जाएगा. ऐसे में बैक्टीरिया के पनपने के लिए बिलकुल सही माहौल मिल जाएगा. इस वजह से घाव गंभीर हो सकता है. साथ ही टिटनेस होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं.

इलाज में सफलता का अनुपात बिलकुल कम
आपको बता दें कि टेटनस का 'इलाज' तो किया जा सकता है, लेकिन इसके सफलता का अनुपात बिलकुल कम है. दरअसल, सबसे अच्छे उपचार में भी लगभग दो-तिहाई मरीजों की मौत हो जाती है. वहीं, जो जिंदा रहते हैं, वह सामान्य तौर पर 8-10 हफ्ते अस्पताल में बिताते हैं. इसके अलावा ज्यादातर मरीज वेंटिलेटर या कोमा में रहते हैं. इसमें सबसे कारगर और आसान है वैक्सीन लेना. 

इसका रूपांतर रूप इन्फेंटाइल टिटनेस
आपको बता दें कि टेटनस का एक रूपांतर रूप भी होता है. इसे हम इन्फेंटाइल टिटनेस के नाम से भी जानते हैं. इसका प्रभाव नवजात शिशुओं पर पड़ सकता है. खास तौर पर यह गर्भनाल को काटने के लिए इस्तेमाल होने वाली गैर-बांझ या कैंची से भी हो सकता है. इसीलिए गर्भनाल काटने के लिए साफ ब्लेड का इस्तेमाल किया जाता है.

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