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Rakshabandhan 2023: UP के इस गांव में रक्षाबंधन को मानते हैं 'काला दिन', राखी बनती है मौत और अपशकुन का कारण!

Surana Gaon People don't Celebrate Rakshabandhan 2023: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के एक गांव में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता. यहां के लोगों का मानना है कि सैकड़ों साल पहले रक्षाबंधन के दिन यहां मोहम्मद गोरी ने जो नरसंहार किया था, उसकी नकारात्मकता आज तक बसती है. पढ़ें इस गांव की कहानी-

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Zee News Desk|Updated: Aug 30, 2023, 10:45 AM IST

Raksha Bandhan 2023: आज देश भर में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है. इस मौके पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, लेकिन यूपी के गाजियाबाद में एक ऐसा गांव है जहां रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है. कोई बहन अपने भाई को राखी नहीं बांधती. यहां राखी के पर्व को 'काला दिन' माना जाता है. हम बात कर रहे हैं मुरादनगर के सुराना गांव की. इस गांव में भाइयों की कलाई रक्षाबंधन पर भी सूनी रहती हैं. बहनों को कोई तोहफे नहीं मिलते. 

पहले गांव का नाम था सोनगढ़ 
रक्षाबंधन को काले दिवस के रूप में मनाने के पीछे की वजह सैकड़ों साल पुरानी है. इस गांव के लोगों का मानना है कि यह दिन अपशकुन लाता है. बताया जाता है कि इस गांव में छाबड़िया गोत्र के चंद्रवंशी अहीर क्षत्रिय रहते हैं. इन लोगों ने राजस्थान के अलवर से आकर यहां ठिकाना बनाया था और यह गांव बसाया था. कई साल पहले इस गांव का नाम सोनगढ़ हुआ करता था. 

गोरी ने रक्षाबंधन वाले दिन की गांव का कर दिया था खात्मा
गांववालों के अनुसार, कई सौ साल पहले राजस्थान से पृथ्वीराज चौहान के वंशज सोन सिंह यहां आए और हिंडन के किनारे रहने की जगह बनाई. मोहम्मद गोरी को जब इस बात का पता चला तो उसने कत्ल-ए-आम करने की ठानी. गोरी ने कई हाथी भेजे और गांववासियों को हाथियों के पैरों तले कुचलवा दिया. गोरी द्वारा मचाई गई इस तबाही से पूरा गांव खत्म हो गया. बताया जाता है कि उस दिन रक्षाबंधन था. तब से ही सुराना गांव में रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता. 

रक्षाबंधन मनाने पर हुआ था अपशकुन
गांव के बुजुर्गों ने आज तक यह त्योहार नहीं मनाया. उन्होंने अपनी अगली पीढ़ी को भी इस त्योहार और अपशकुन के बारे में समझाया. हालांकि, नई पीढ़ी ने कई बार परंपरा तोड़ते हुए रक्षाबंधन मनाने की कोशिश की. जिसके बाद परिवार में किसी ना किसी की मौत हो गई या परिवार में अचानक लोगों की तबीयत खराब होने लगी. जब ये घटनाएं बढ़ने लगीं तो बच्चों को फिर समझाया गया और राखी का त्योहार मनाने से मना किया गया. गांव वालों ने बताया कि रक्षाबंधन का त्योहार मनाने वाले लोगों ने कुलदेव से माफी मांगी और दोबारा त्योहार न मनाने की बात कही. स्थानीय निवासियों का मानना है कि सुराना गांव को श्राप मिला है. यही वजह है कि यहां पर बहन एक बार भी भाई को राखी बांध दे, तो गांव में समस्याएं आ जाती हैं. 

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