trendingNow/india/up-uttarakhand/uputtarakhand01266240
Home >>Uttar Pradesh

Sikha Kada: सिख के लिए ये किसी सम्मान से कम नहीं है कड़ा, गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ी है इसकी कहानी, जानें क्या हैं पांच ककार

Sikha Kada: यह कड़ा दाहिने हाथ में पहना जाए और केवल एक ही कड़ा पहना जाए, यह नियम है....सिख धर्म में लोहे के कड़े को सुरक्षा का प्रतीक माना गया है.....कहते हैं यह कड़ा एक सिख को कठिनाईयों से लड़ने की हिम्मत प्रदान करता है, सिख को किसी प्रकार का कोई भय नहीं होने देता

Advertisement
Sikha Kada: सिख के लिए ये किसी सम्मान से कम नहीं है कड़ा, गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ी है इसकी कहानी, जानें क्या हैं पांच ककार
Stop
Zee Media Bureau|Updated: Jul 20, 2022, 04:04 PM IST

Punjabi Kada: हमारे देश में कई धर्म और जातियां है, अलग-अलग रीति रिवाज और बोलियां जो हमारी सभ्यता की मिठास को बनाए रखती है. उत्तर भारत हो या नॉर्थ सबकी अपनी संस्कृति है. इन सबमें पंजाब भी शामिल है. इतिहास में सिख धर्म (Sikha Dharma) का काफी महत्व है. पंजाबियों की अपनी रस्में होती हैं. इन रस्मों को पंजाबियों द्वारा शिद्दत से निभाया जाता है.  ऐसा भी कहा जाता है कि पंजाबी अपनी परंपराओं को बखूबी निभाते हैं. वैसे भी ये अपनी बहादुरी के लिए जाने जाते हैं.

पूजा की थाली में भूलकर भी न रखें ये चीजें, नहीं तो झेलने होंगे बुरे परिणाम, सुपारी और कपूर को तो बिलकुल नहीं

हम देखते हैं कि पंजाबी और सिख कड़ा पहनते हैं. इसका बड़ा धार्मिक महत्व है. सरबलोह कड़ा मुख्य रूप से सोने या चांदी की बजाय लोहे या स्टील से बना होता है. चूंकि, वे धार्मिक महत्व के अनुसार कड़ा पहनते हैं, लोहे या स्टील का भी अपना महत्व है. यह तत्व खाल योद्धा की शक्ति और शक्ति का प्रतीक है. यह गलत के खिलाफ लड़ने का प्रतीक है. खाल योद्धा के लिए पांच ककार पेश किए गए हैं. माना जाता है कि यह पंजाबी कड़ा खतरे से भी सुरक्षा देता है.

गुरु गोविंद सिंह जी ने की थी खालसा पंथ की स्थापना 
अगर आप  सिख धर्म से बाकिफ है तो आपने देखा होगा कि सिख लोग अपने दाहिने हाथ में एक कड़ा पहनते हैं.

कड़ा पहनने के पीछे की कहानी
बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी. जिसमें उन्होंने अपने पंज प्यारों को पांच ककार पहनने के लिए कहा था. उन पांच ककार में से एक पंजाबी कड़ा भी था. इसलिए इसको धार्मिक लिहाज से भी पहना जाता है. कह सकते हैं कि सिख धर्म में इसका बहुत महत्व है.

लोहे-स्टील का बना होता है कड़ा
सरबलोह कड़ा मुख्य रूप से सोने या चांदी की बजाय लोहे या स्टील से बना होता है. सिख धार्मिक महत्व के अनुसार कड़ा पहनते हैं, लोहे या स्टील का भी अपना महत्व है. यह तत्व खाल योद्धा की शक्ति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है. यह गलत के खिलाफ लड़ने का प्रतीक है. खाल योद्धा के लिए पांच ककार पेश किए गए हैं. माना जाता है कि यह पंजाबी कड़ा खतरे से भी सुरक्षा देता है.

कड़ा (Kada) पहनने के महत्व
कड़ा छिपाव और शिष्टाचार का प्रतीक माना जाता है. पंजाबी कड़ा इस बात का प्रतीक है कि वे सर्वोच्च शक्ति से जुड़े हुए हैं. कुछ सिख या पंजाबी मानते हैं कि यह कड़ा भगवान के प्रति आस्था का प्रतीक है.यह उन्हें याद दिलाता है कि वे सुपर दैवीय शक्ति के तहत रह रहे हैं और काम कर रहे हैं. दूसरे धर्म के लोग भी कड़ा के इस महत्व को समझते हैं और हाथ में कम से कम एक कड़ा धारण करते हैं. माना जाता है कि कड़ा पहनने से मानव शरीर पर पॉजिटिव इफेक्ट पड़ता है. 

सिखों के लिए सम्मान की बात है कड़ा
आम लोगों की नजर में भले ही यह एक लोहे की या अन्य धातु की बनी चूड़ी जैसा हो लेकिन एक सिख के लिए ये किसी सम्मान से कम नहीं है.यह कड़ा दाहिने हाथ में पहना जाए और केवल एक ही कड़ा पहना जाए, यह नियम है.  सिख धर्म में लोहे के कड़े को सुरक्षा का प्रतीक माना गया है. कहा जाता है कि कड़ा एक सिख को कठिनाईयों से लड़ने की हिम्मत प्रदान करता है, सिख को किसी प्रकार का कोई भय नहीं होने देता.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि Zee upuk किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें. 

Sawan 2022: भगवान शिव का ही क्यों किया जाता है जलाभिषेक! जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा के साथ वैज्ञानिक कारण

WATCH LIVE TV

 

Read More
{}{}