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Positive News: जानिए कैसे मछलियों ने बदल दी यूपी के इस जिले की किस्मत, हो रही मोटी कमाई?

Fisheries: सिद्धार्थनगर जिले का अकरहरा गांव आर्थिक रूप से काफी संपन्न हो चुका यह है. इस गांव के अस्सी प्रतिशत लोग मौजूदा समय में मछली पालन के व्यवसाय से जुड़े हैं. जिले का कुल सालाना मछली का प्रोडक्शन करीब 40 हजार मैट्रिक टन है.

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Positive News: जानिए कैसे मछलियों ने बदल दी यूपी के इस जिले की किस्मत, हो रही मोटी कमाई?
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Zee Media Bureau|Updated: Aug 25, 2022, 01:14 AM IST

सलमान अंसारी/सिद्धार्थनगर: यूपी के सिद्धार्थनगर जिले ने मछली पालन में नया कीर्तिमान हासिल किया है. प्रदेश के मछली की सप्लाई का कुल 30 प्रतिशत हिस्से की सप्लाई अकेले सिद्धार्थ नगर से होती है. इस कामयाबी से जिला प्रशासन के साथ स्थानीय लोग काफी उत्साहित हैं. आलम ये है कि जिले के डॉक्टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद बहुत से युवा इस कारोबार से जुड़े हैं और लाखों कमा रहे हैं. वहीं, इस कारोबार को बढ़ावा देने के लिए लोग सरकार से मदद की अपेक्षा कर रहे हैं. आपको बता दें कि जिले में फिशरीज की ये कामयाबी एक दिन में ही नहीं मिली, बल्कि इसका सारा श्रेय बढ़नी ब्लॉक के अकरहरा गांव को जाता है.

अकरहरा गांव आर्थिक रूप से कैसे हुआ संपन्न
सिद्धार्थनगर जिले का अकरहरा गांव आर्थिक रूप से काफी संपन्न हो चुका यह है. इस गांव के अस्सी प्रतिशत लोग मौजूदा समय में मछली पालन के व्यवसाय से जुड़े हैं. सिद्धार्थनगर जिले में तकरीबन 4 हजार 4 सौ हेक्टेयर क्षेत्र में तालाब है. जिसमें 3 हजार 169 हेक्टेयर सरकारी, 670 हेक्टयर प्राइवेट और 561 हेक्टयर प्राइवेट कमर्शियल तालाब शामिल है.

अगर अकरहरा गांव की बात करें तो करीब 282 एकड़ में यहां कमर्शियल तालाब है. सिद्धार्थनगर जिले का कुल सालाना मछली का प्रोडक्शन करीब 40 हजार मैट्रिक टन है. इसका सालाना टर्नओवर करीब 350 करोड़ के आसपास है. बता दें कि फिशरीज के इस काम में तकरीबन 5 हजार लोग सीधा जुड़े हुए हैं.

कैसे हुई इस पिछड़े क्षेत्र में मत्स्य पालन की शुरुआत
आइए आपको बताते हैं कि मत्स्य पालन की शुरुआत इस पिछड़े क्षेत्र में कैसे हुई. इस बारे में यहां के मछली कारोबारी वकार अहमद फैज बताते हैं कि 2008 में उनके पिता ने एक छोटे से क्षेत्र में इसकी शुरुआत की थी. उन्हें अच्छा मुनाफा मिला तो इस काम में रुचि बढ़ी. मौजूदा समय में इनके पांच भाई हैं जो हाईली एजुकेटेड हैं. वो अपनी नौकरी छोड़कर मत्स्य पालन के काम में लग गए हैं. फिलहाल, इनका टर्न ओवर 10 करोड़ सालाना के ऊपर है.  फैज ने कहा कि फिशरीज के क्षेत्र में सिद्धार्थनगर जिले में बहुत संभावनाएं हैं. 

किसानों के बिजली की दर कम करे सरकार
अहमद फैज ने कहा कि अगर सरकार अन्य प्रदेशों की तरह किसानों की बिजली के दाम कम करे और मछलियों के शीड के कारखाने यहां स्थापित करा दे तो काफी मुनाफा हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा समय के इनकम को 2 गुना से 3 गुना किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सिद्धार्थनगर जिले में तालाबों तक आने के लिए रास्तों का निर्माण किया जा रहा है.

इसी के साथ ही मछली बेचने के लिए एक अच्छा बाजार भी उपलब्ध हो जिससे पूरे सिद्धार्थनगर जिले में काफी लोगों को इस व्यवसाय से जोड़ा जा सकता है. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में यहां पेंगेसिस, तिलापिया, आई एम सी मछलियों का कल्चर किया जा रहा है.

75 प्रतिशत जमीन पर होती है, सिर्फ एक फसल 
आपको बता दें कि सिद्धार्थनगर जिले की गिनती प्रदेश के पिछड़े जनपदों में होती है. यह जिला प्रधानमंत्री आकांक्षा जनपदों में से एक है. यहां बड़े कारखाने नहीं है. युवा नौकरी की तलाश में बड़े पैमाने पर शहरों में पलायन कर जाते हैं. यहां रोजी रोटी का मात्र साधन कृषि है. बाढ़ ग्रस्त इलाका होने की वजह से तकरीबन 75 प्रतिशत जमीन पर, सिर्फ एक ही फसल हो पाती है. हालांकि, योगी सरकार ने ओडीओपी योजना के तहत काला नमक चावल को लिया है. इससे काला नमक के उत्पाद को लेकर किसान जागरूक भी हुए हैं.

मत्स्य पालने के क्षेत्र में किया फोकस
फिलहाल, काला नमक और चावल से किसानों को आर्थिक रूप से ज्यादा फायदा मिलने की संभावनाएं कम हैं. इस बीच जिले में इतने बड़े पैमाने पर मछली उत्पादन और इससे आर्थिक संपन्नता की जानकारी वर्तमान जिलाधिकारी संजीव रंजन और सीडीओ जयंत कुमार को हुई, तो उन्होंने मत्स्य पालने वाले क्षेत्रों का दौरा कर पूरा फोकस इस पर किया. इस व्यवसाय को बड़े पैमाने पर करते हुए पूरे जिले को आगे बढ़ाया जाएगा.

तालाबों का जायजा लेने जिलाधिकारी गांव में पहुंचे
दरअसल, मत्स्य पालकों से मिलने और तालाबों का जायजा लेने जिलाधिकारी संजीव रंजन गांव में पहुंचे थे. इस दौरा कहा कि सिद्धार्थनगर जिले में पानी की कोई कमी नहीं है. यहां पर फिशरीज को बढ़ावा देकर यहां के लोगों को बड़ी संख्या में इस व्यवसाय से जोड़ा जा सकता हैं. इससे क्षेत्र में आर्थिक संपन्नता भी आने के बहुत अवसर हैं. डीएम ने कहा कि अकरहरा गांव के लोग अपने संसाधनों से इस व्यवसाय में जो काम कर रहे हैं, ये काबिले तारीफ है. 

इस व्यवसाय को जनपद में बढ़ाने का किया जाएगा प्रयास 
उन्होंने कहा कि इनकी जो छोटी-छोटी समस्याएं हैं, इनको जल्द से जल्द दूर कर इस व्यवसाय को पूरे जनपद में बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकारी स्तर पर जो भी मदद होगी वह जरूर की जाएगी. उद्योग विहीन सिद्धार्थनगर जिले में मत्स्य पालन में बढ़ावे से ये उम्मीद जगी है कि इस, कारोबार को अपनाकर लोग आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सकते हैं. साथ ही इस काम से हजारो स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकता है. बस जरूरत है, सरकार को जिले में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज की.

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