trendingPhotos1591586/india/up-uttarakhand/uputtarakhand
PHOTOS

Mathura ki Lathmar Holi: मथुरा की लट्ठमार होली में रंगों के साथ बरसे लठ, बरसाने में हुरियारिन संग नाचे हुरियारे

Barsane Ki Lathmar Holi: जिस जोश और उत्साह के साथ मथुरा में होली का त्योहार मनाया जाता है उस तरह से पूरी दुनिया में होली नहीं मनाई जाती. यहां होली एक हफ्ते पहले ही शुरू हो जाती है और इतनी धूमधाम से नाचते-गाते हुए होली मनाई जाती है जिसका अंदाजा लगाना मुमकिन नहीं है.

Advertisement
1/5

देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु मथुरा में होली खेलने आते हैं, आएं भी क्यूं न यहां होली खेली ही कुछ इस अंदाज में जाती है कि कोई भी इसमें शामिल होना चाहे. हर दिन अलग-अलग तरीके से होली का आयोजन किया जाता है. इसी में लट्ठमार होली (Lathmar Holi) भी एक है. लट्ठमार होली में महिलाएं पुरुषों पर बांस की लाठियां बरसाकर होली खेलती हैं और पुरुष एक ढाल लेकर अपना बचाव करते हैं. 

2/5

इस लट्ठमार होली को एक मान्यता के तहत मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है द्वापर युग में राधा जी ने श्री कृष्ण को होली खेलने का निमंत्रण दिया था. इसके बाद कृष्ण अपने सखाओं (दोस्तों) की टोली लेकर नंदगांव राधा रानी के साथ होली खेलने आए थे. यहां ब्रजवासियों ने कृष्ण को लाठियों से मारकर होली खेली थी. कृष्ण और दोस्तों को हुरियारे और राधा और उनकी सखियों को हुरियारिन कहा जाता है.

 

3/5

लट्ठमार होली मनाने के लिए सबसे पहले नंदगांव से हुरियारे नाचते गाते हुए पीली पोखर पहुंचते हैं. यहां ब्रजावासियों द्वारा उनका भांग और ठंडाई से जोरदार स्वागत किया जाता है. आव भगत के बाद हुरियारे हुरियारिनों के लट्ठ से बचने के लिए ढ़ाल तैयार करते हैं और एक-दूसरे को पगड़ी पहनाते हैं. इसके बाद सभी एकत्र होकर लट्ठमार होली खेलने के लिए निकल पड़ते हैं. 

 

4/5

सबसे पहले हुरियारे कृष्ण रूपी ध्वजा लेकर श्री जी मंदिर पहुंचते हैं, यहां सभी राधा रानी के दर्शन करते हैं. यहां हुरियारों पर गुलाल और टेसू के फूलों के रंग की बरसात की जाती है. इस रंग में सराबोर होने के बाद सभी हुरियारे रंगीली गली पहुंचते है. यहां बरसाने की हुरियारिने पहले से हुरियारों के आने का इंतजार कर रही होती हैं.

 

5/5

हुरियारों के आते ही यहां हंसी ठिठोली के साथ नाच गाना शुरू हो जाता है और इसी के बाद यहां जमकर खेली जाती है लट्ठमार होली. हुरियारिने हुरियारों पर लाठियां बरसाती हैं और हुरियारे ढ़ाल से अपवा बचाव करते हैं. माना जाता है देवता भी इस हंसी ठिठोली का आनंद लेते हैं. यह लट्ठमार होली सिर्फ एक दिन नहीं खेली जाती है. मान्यता के मुताबिक कुछ दिन बाद अलगी लट्ठमार होली का आयोजन नंदगांव में किया जाता है. 

 





Read More