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Navratri 7th Day: नवरात्रि के 7वें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, इस मंत्र से करेंगे पूजा तो नहीं सताएगा भूत-प्रेत-आत्मा का डर

Navratri 7th Day: मां दुर्गा का यह स्वरूप शत्रु और दुष्‍टों का संहार करने वाला है. मां कालरात्रि की नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती हैं...

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Navratri 7th Day: नवरात्रि के 7वें दिन होती है मां कालरात्रि की पूजा, इस मंत्र से करेंगे पूजा तो नहीं सताएगा भूत-प्रेत-आत्मा का डर
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Zee Media Bureau|Updated: Oct 01, 2022, 04:08 PM IST

Maa Kalratri Puja Vidhi: शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है.2 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि है. नवरात्रि में सातवें दिन महासप्तमी पड़ती है. इस दिन मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि मां कालरात्रि ने असुरों का वध करने के लिए ये रूप लिया था. ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने वाले भक्तों को भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का डर नहीं सताता. आइए जानते हैं नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा कैसे की जाती है...

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ऐसा है मां का स्वरूप 
 मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती हैं, इसलिए इनका नाम कालरात्रि है.  मां को कालरात्रि इसलिए कहा जाता है क्योंकि इनका रंग काला है. इनके तीन नेत्र हैं. मां कालरात्रि की 4 भुजाएं होती हैं. मां के हाथ में खड्ग और कांटा है. मां कालरात्रि की सवारी गर्धव यानि गधा है. मां का स्वरूप आक्रामक और भयभीत करने वाला है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की आराधना करने से भूत, प्रेत या बुरी शक्ति का भय जीवन में कभी नहीं सताता है. कहते हैं कि मां दुर्गा ने असुरों के राजा रक्तबीज का संहार करने के लिए ही ये रूप धारण किया था. 

मां कालरात्रि पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहन लें. हो सके तो मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनें.चौकी पर मां कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. इसके बाद गंगा जल से शुद्धिकरण करें. मां कालरात्रि की पूजा सुबह के समय करना शुभ माना जाता है. सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें. मां का ध्यान करें. इसके बाद मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य श्रद्धापूर्वक अर्पित करें. मां को उनका प्रिय पुष्प रातरानी अर्पित करें. इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें. 

कालरात्रि का सिद्ध मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा | वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||

मां कालरात्रि को लगाएं ये भोग
मां को खुश करने के लिे गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें. क्योंकि मां को गुड़ बहुत पसंद है. 

मां की स्तुति
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः ।।

मां ने किया था मधु कैटभ राक्षसों का वध

मां दुर्गा का यह स्वरूप शत्रु और दुष्‍टों का संहार करने वाला है. मां कालरात्रि की नाक से आग की भयंकर लपटें निकलती हैं. माना जाता है कि महा सप्‍तमी के दिन पूरे विध‍ि-व‍िधान से मां कालरात्रि की पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. 

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Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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