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इंसानों की तरह सोना पसंद करते हैं कीड़े-मकौड़े, कम नींद से खून का स्‍वाद भूल रहे मच्‍छर, जानें चौंका देने वाला खुलासा

OMG News : मच्छर भी नींद की कमी से जूझ रहे हैं. नींद न आने के कारण खून चूसने वाले मच्छर 'खून का स्वाद' भूल गए हैं. नींद की कमी से कीड़े-मकौड़े भी बीमार हो जाते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इंसानों की तरह कीड़े भी सोना पसंद कर रहे.  

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सांकेतिक तस्‍वीर
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Amitesh Pandey |Updated: May 20, 2023, 02:57 AM IST

Ajab Gajab : इंसान ही नहीं अब मच्छर भी नींद की कमी से जूझ रहे हैं. नींद न आने के कारण खून चूसने वाले मच्छर 'खून का स्वाद' भूल गए हैं. हाल ही में हुए एक शोध में यह दावा किया गया है. शोध के मुताबिक, नींद की कमी से कीड़े-मकौड़े भी बीमार हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में मच्छर जहां खून का स्वाद भूल जाते हैं. मधुमक्खियों को उड़ने में दिक्कत होती है, वहीं फ्रूट फ्लाई की याद्दाश्त कमजोर होने लगती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि मच्छरों को खून पीने से ज्यादा सोना पसंद है. मच्छर की नींद की साइकिल को पढ़ना बेहद मुश्किल है. मच्छर सोते समय भी जागे हुए मच्छरों की तरह ही दिखते हैं. ऐसा करके वे अपनी ऊर्जा को बचाते हैं.

...तो शोध में चौंकाने वाले खुलासे 
शोधकर्ताओं ने बताया कि एक प्रयोग के दौरान तीन प्रजातियों के मच्छर को कांच के डिब्बों में बंद कर दिया. इनके अंदर कैमरा और इंफ्रारेड सेंसर लगे थे. इन मच्छरों ने दो घंटे बाद सोना शुरू कर दिया. वहीं, कुछ मच्छरों को एक कांच के ट्यूब्स में रखा था. इसमें कुछ मिनट में कंपन होता था, ताकि वे सो न सकें. इन मच्छरों को 4 से 12 घंटे तक सोने नहीं दिया गया. बाद में इन सभी मच्छरों को एक कांच के बर्तन मे डाला गया और उसमें इंसान ने अपना पैर रखा. इसके बाद देखा गया कि जो मच्छर आराम से सोए थे, उन्होंने इंसान के पैर पर हमला कर दिया. वहीं, जिन मच्छरों की नींद पूरी नहीं हुई थी, वे चुपचाप सोने की कोशिश कर रहे थे. उन्हें खून की गंध उकसा नहीं पा रही थी.

मच्‍छरों के सोने का समय बिगड़ा 
शोधकर्ताओं ने बताया कि वैज्ञानिक वर्षों से बीमारियों की रोकथाम के लिए मच्छरों के सोने और जागने का समय तय करने वाली जैविक घड़ी का अध्ययन कर रहे हैं. अध्ययन से पता चला कि मच्छर अब दिन में भी ऐसी बीमारियां फैला रहे हैं, जो पहले वे केवल रात के समय फैलाते थे. इससे साफ हो गया कि उनके सोने और जागने के टाइम टेबल बिगड़ गया है. 

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