Farmers Protest Today : किसान आंदोलन एक बार फिर जोर पकड़ रहा है. इस बार पश्चिमी यूपी की गन्ना बेल्ट (Ganna Belt) मुजफ्फरनगर में शनिवार को किसानों का शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला. भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राकेश टिकैत और नरेश टिकैत ने इस आंदोलन की अगुवाई की. यूपी में गन्ना मूल्य घोषित न करने, गन्ना बकाया, दूध के उचित दाम जैसे मुद्दों पर किसानों ने ये विरोध प्रदर्शन (Kisan Aandolan) किया. हरी पगड़ी पहने राकेश टिकैत ने यूपी में गन्ना मूल्य, दूध के दाम समेत और किसानों के बकाया जैसे तमाम मुद्दों पर सरकार को चेतावनी भी दी.
हरियाणा-पंजाब के किसान भी पहुंचे
मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में ये आंदोलन चला. इसमें वेस्ट यूपी समेत पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों के किसान शामिल हुए. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने पिछले दिनों पंचायत के दौरान किसानों की समस्याओं को लेकर 28 जनवरी से राजकीय मैदान में आंदोलन की चेतावनी दी थी. इसके बाद शनिवार से किसान आंदोलन छेड़ा गया. राजकीय मैदान में टेंट में सुबह से भीड़ जुटना शुरू हुई थी, जो शाम होते होते हजारों में पहुंच गई.
खतौली पंचायत के बाद धरना
टिकैत का दावा है कि इस आंदोलन में हजारों की संख्या में किसान पहुंचेंगे.टिकैत का कहना है कि यह धरना पहले से प्रस्तावित था. खतौली किसान पंचायत के बाद 28 जनवरी से जीआईसी मैदान में अनिश्चितकालीन धरना शुरू करने की बात थी. इसमें बिजली दरों का मुद्दा है. गन्ना मूल्य भुगतान का मुद्दा है. खराब सड़कों का मामला भी आंदोलन में उठेगा.
इस धरने में उत्तराखंड के किसान भी रहेंगे
यूपी में बागपत, शामली, मुरादाबाद से लेकर नोएडा, गाजियाबाद किसान भी जुटे. पश्चिम उत्तर प्रदेश के हर इलाके से किसान यहां पहुंचे. अनिश्चितकालीन धरना करीब 11 बजे से शुरू हुआ. धरने की अगुवाई राकेश टिकैत या नरेश टिकैत करेगे. अन्य किसान नेता भी जुटे. हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा के तले शामिल अन्य किसान संगठन इसमें शामिल हुए या नहीं, ये अभी साफ नहीं हो सका है.
प्रशासन ने पानी के टैंकर, लकड़ी और शौचालय की व्यवस्था की थी, क्योंकि ये अनिश्चितकालीन धरना है. इसमें किसान परिवारों की ओर से भंडारा चलाया जाएगा. ये किसान आंदोलन लंबा भी खिंच सकता है.
गौरतलब है कि दो साल पहले दिल्ली बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन हुआ था. यह आंदोलन करीब डेढ़ साल चला. किसानों और सरकारों की बीच गतिरोध का कोई हल न निकल पाने के बाद पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान गुरु नानक जयंती पर किया था.
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