trendingNow/india/up-uttarakhand/uputtarakhand01448756
Home >>Uttar Pradesh

सात समंदर पार पहुंचेगा कानपुर का बुकनू और मथुरा का पेड़ा, यूपी की इन वस्तुओं को मिलेगा जीआई टैग

योगी सरकार लगातर स्थानीय उत्पादों को ग्लोबल ब्रांड बनाने में जुटी है. इसके लिए अलग-अलग जनपद की पहचान बन चुकी खाने-पीने की चीजों व वस्तुओं को जीआई टैग दिया जा रहा है. आइए जानते हैं UP के किन लोकल फूड आइटम को जल्द ही जीआई टैग मिलने वाला है.

Advertisement
सात समंदर पार पहुंचेगा कानपुर का बुकनू और मथुरा का पेड़ा, यूपी की इन वस्तुओं को मिलेगा जीआई टैग
Stop
Zee Media Bureau|Updated: Nov 19, 2022, 06:56 PM IST

लखनऊ: वह दिन दूर नहीं जब मथुरा का पेड़ा,आगरा का पेठा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई, अलीगढ़ की चमचम मिठाई और कानपुर का सत्तू और बुकनू दुनिया भर के बाजारों में ब्रांडेड प्रॉडक्ट के रूप में बिकता नजर आएगा. /यह सब ओडीओपी स्कीम की तर्ज पर स्थानीय उत्पादों को जीआई टैग दिलाने के लिए योगी सरकार के प्रयासों से मुमिकन होगा. यूपी के स्थानीय खाद्य उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए योगी सरकार ने ‘जीआई टैग’ दिलाने की प्रक्रिया तेज कर दी है. 

क्या है जीआई टैग
‘जीआई टैग’ यानी भौगोलिक संकेतक ऐसे कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में तैयार किए जाते हैं. कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग इस दिशा में प्रयास कर रहा है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के चौसा आम, वाराणसी, जौनपुर और बलिया के बनारसी पान (पत्ता), जौनपुर की इमरती जैसे कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों का आवेदन पहले ही किया जा चुका है. इनकी पंजीयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है. उत्तर प्रदेश के कुल 36 उत्पाद ऐसे हैं, जिन्हें ‘जीआई टैग’ मिल चुका है. इसमें छह उत्पाद कृषि से जुड़े हैं. वहीं, भारत के कुल 420 उत्पाद ‘जीआई टैग’ के तहत रजिस्टर्ड हैं, जिसमें से 128 उत्पाद कृषि से संबंधित हैं. 

इन खाद्य उत्पादों को मिल चुका है जीआई टैग
कृषि विभाग में अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि अभी उत्तर प्रदेश के जो छह उत्पाद ‘जीआई टैग’ में पंजीकृत हैं, उनमें इलाहाबादी सुर्खा अमरूद, मलिहाबादी दशहरी आम, गोरखपुर-बस्ती एवं देवीपाटन मंडल का काला नमक चावल, पश्चिमी उप्र का बासमती, बागपत का रतौल आम और महोबा का देसावरी पान शामिल हैं. बयान के मुताबिक ऐसे करीब 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पाद हैं, जिनके भौगोलिक संकेतक हेतु पंजीयन की प्रक्रिया लंबित है. इनमें बनारस का लंगड़ा आम, बुंदेलखंड का कठिया गेहूं, प्रतापगढ़ आंवला, बनारस लाल पेड़ा, बनारस लाल भरवा मिर्च, यूपी का गौरजीत आम, चिरईगांव करौंदा ऑफ वाराणसी, पश्चिम उप्र का चौसा आम, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, बनारसी पान (पत्ता), बनारस ठंडई, जौनपुर की इमरती, मुजफ्फरनगर गुड़, बनारस तिरंगी बरफी और रामनगर भांटा शामिल है. 

इन्हें भी मिलेगा जीआई टैग
‘जीआई टैगिंग’ के लिए जिन संभावित कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों का जिक्र किया गया है, उनमें मलवां का पेड़ा, मथुरा का पेड़ा, फतेहपुर सीकरी की नान खटाई, आगरा का पेठा, अलीगढ़ की चमचम मिठाई, कानपुर नगर का सत्तू और बुकनू, प्रतापगढ़ी मुरब्बा, मैगलगंज का रसगुल्ला, संडीला के लड्डू व बलरामपुर के तिन्नी चावल प्रमुख हैं. 

यह भी पढ़ें: गुंडों को ठिकाने लगाने के बाद 'पुलिस वाली मैडम' करती है ये बड़ा काम, एसएसपी भी हैं मुरीद
जीआई टैग की कतार में ये भी शामिल
इसके अलावा गोरखपुर का पनियाला फल, देशी मूंगफली, गुड़-शक्कर, हाथरस का गुलाब और गुलाब के उत्पाद, बिठूर का जामुन, फर्रूखाबाद का हाथी सिंगार (सब्जी), चुनार का जीरा-32 चावल, बाराबंकी का यकूटी आम, अंबेडकरनगर का हरा मिर्चा, गोंडा का मक्का, सोनभद्र का सॉवा कोदों, बुलंदशहर का खटरिया गेहूं, जौनपुरी मक्का, कानपुरी लाल ज्वार, बुंदेलखंड का देशी अरहर भी शामिल है. इस सूची में लखनऊ की रेवड़ी, सफेदा आम, सीतापुर की मूंगफली, बलिया का साथी चावल (बोरो लाल व बोरो काला), सहारनपुर का देशी तिल, जौनपुरी मूली और खुर्जा की खुरचन जैसे उत्पाद भी हैं. सरकार के प्रयासों से जल्द ही इन उत्पादों जीआई टैग नामांकन का आवेदन किया जाएगा. बयान के मुताबिक जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले कृषि उत्पाद को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है. इंटरनेशनल मार्केट में जीआई टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है. इससे एक्सपोर्ट को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है.

Read More
{}{}