trendingNow/india/up-uttarakhand/uputtarakhand01557626
Home >>Uttar Pradesh

Kannauj: रामचरितमानस और कुरान को लेकर दलित समाज के दो गुट आमने-सामने, राष्ट्रपति से की मांग

कन्नौज में रामचरितमानस विवाद के लोगों ने कुरान में लिखी आयतों का किया विरोध. आइए बताते हैं क्या है पूरा मामला...

Advertisement
Kannauj: रामचरितमानस और कुरान को लेकर दलित समाज के दो गुट आमने-सामने, राष्ट्रपति से की मांग
Stop
Zee Media Bureau|Updated: Feb 04, 2023, 11:44 AM IST

प्रभम श्रीवास्तव/कन्नौज: सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस को लेकर दिए बयान के बाद से विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी तक इस पूरे विवाद में स्वामी के पक्ष और विपक्ष में प्रतिक्रयाएं आ रही थीं. अब इस पूरे प्रकरण में नया मोड़ आता दिख रहा है. हालिया मामला कन्नौज से सामने आया है. यहां रामचरितमानस और कुरान को लेकर दलित समाज के दो पक्ष आमने-सामने आ गए हैं. एक पक्ष रामचरित मानस की चौपाइयों का विरोध कर रहा है तो दूसरा कुरान में लिखी आयतों का. दोनों की ओर से इस पूरे मामले को लेकर राष्ट्रपति संबोधित ज्ञापन सौंपा गया है और सुधार की मांग रखी गई.

जनपद कन्नौज में रामचरितमानस और कुरान को लेकर दलित समाज के दो पक्ष आमने सामने आ गए हैं. एक पक्ष रामचरित मानस की चौपाइयों का विरोध कर रहा है तो दूसरा कुरान में लिखी आयतों का. दोनों की ओर से इस पूरे मामले को लेकर राष्ट्रपति संबोधित ज्ञापन सौंपा गया है और सुधार की मांग की गई है.

एक पक्ष कर रहा विरोध
कन्नौज में एक पक्ष ने मानस विवाद के विरोध में मौन जुलूस निकाला. लोगों का कहना है कि श्रीरामचरितमानस को लेकर हो रही अनर्गल टिप्पणियों को विरोध में यह मार्च निकाला है. इससे हिंदूओं के पवित्र धर्मग्रंथ का अपमान हो रहा है. इस दौरान लोगों ने कुरान में लिखी आपत्ति जताई है. लोगों का कहना हा कि कुरान में कुछ ऐसी आयतें लिखी हैं जिनसे दलित और पिछड़ा समाज सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. कुरान की आयतों में लिखा है कि गैर मुस्लिम सभी काफिर होते है और उनका कत्ल करना जायज है, उनकी संपत्ति और बहू-बेटियों को उपभोग करना जायज बताया गया है. इतना ही नहीं धर्मांतरण से सबसे ज्यादा दलित समाज ही प्रभावित होता है. लोगों ने महामहिम राष्ट्रपति से मांग की है कि इन आयतों को कुरान की पुस्तक से हटाया जाए. 

एक पक्ष ने किया समर्थन
यहां भी लोगों द्वारा मौन जुलूस निकाला गया. यह लोग सपा नेता और वर्तमान में विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा दिए गए बयान का समर्थन कर रहे हैं. जुलूस में शामिल लोगों ने कहना है कि दलित, पिछड़े, आदिवासी भी हिंदू समाज का हिस्सा हैं और हिंदू में आस्था रखते हैं. कुछ रचनाकारों ने ऐसे ग्रंथ लिखे हैं जिनसे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचती है. इसके विरोध में आवाज उठा रहे हैं. लोगों का कहना है स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस या किसी धर्म या आराध्य पर सवाल ने उठाकर कुछ चौपाइयों का पर विरोध जताया था. 

Read More
{}{}