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Kaagaz:अचानक मर चुके नेता जी का प्रकट हुआ Bhoot, जानें पूरा मामला

पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज तो आपने देखा होगा, जिसमें वह अपने आप को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद करते हैं. यूपी के बस्ती जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. ठीक वैसे ही जैसा पंकज त्रिपाठी के साथ हुआ था. नेताजी को लेखपाल ने मरा हुआ घोषित कर दिया.

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Kaagaz:अचानक मर चुके नेता जी का प्रकट हुआ Bhoot, जानें पूरा मामला
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Zee Media Bureau|Updated: Jul 23, 2022, 06:14 AM IST

राघवेंद्र सिंह/बस्ती: पंकज त्रिपाठी की फिल्म कागज तो आपने देखा होगा, जिसमें वह अपने आप को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद करते हैं. यूपी के बस्ती जिले में ऐसा ही एक मामला सामने आया है. ठीक वैसे ही जैसा पंकज त्रिपाठी के साथ हुआ था. नेताजी को लेखपाल ने मरा हुआ घोषित कर दिया. यूं कह लें कि अचानक मर चुके, नेताजी का भूत प्रकट हुआ तो जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया.

मामला हरैया तहसील का 
मामला कुछ ऐसा ही है कि 'न खाता न बही, जो लेखपाल साहब कह दें वही सही'. जी हां जनपद के लेखपाल मुख्यमन्त्री व अधिकारियों के आदेश ठेग दिखा रहे हैं. आपको उस दर्द को तब समझ सकते हैं, जब सरकारी अभिलेखों में आपको मृत दिखा दें. जब चाहे जिंदा कर दें, नेता जी यह समझ नहीं पा रहे कि वह जिंदा हैं या मृत. पूरा मामला हरैया तहसील का है.

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ये है पूरा मामसा
दरअसल, लेखपाल ने किसान नेता को जिंदा होने के बाद मृत दिखा दिया. जांच के बाद उन्हें फिर से जिंदा कर दिया. हर्रैया तहसील नेता सतीश सिंह को तहसील खौतौनी में मृत दिखाकर उनके जगह दूसरे के नाम को वरासत कर दिया गया. जिसके नाम के वरासत की गई वह ब्यक्ति अजनबी है. उस ब्यक्ति को कोई जानता ही नहीं है.

जब मामले में किसान नेता को जानकारी, ह उन्होंने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर कार्रवाई की गुहार लगाई. जब मामले की शिकायत डीएम के पास पहुची, तो जिलाधिकारी ने जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. वहीं, जाच में मामला सही पाया गया. आनन फानन में तहसील कर्मचारियों ने फिर से मृत ब्यक्ति की रिपोर्ट को खारिज कर सतीश सिंह को जिंदा कर उनके नाम फिर से जमीन अंकित कर दिया गया.

सहज जनसेवा केंद्र में खतौनी
आपको बता दें कि पूर्व जिला पंचायत सदस्य को सरकारी अभिलेखों में जिंदा होने बाद मृत घोषित कर दिया गया. मामले का अधिकारियों ने सज्ञान लिया तो, किसान नेता फिर से जिंदा हो गए. दरअसल, कप्तानगंज क्षेत्र के परिवारपुर निवासी पूर्व जिला पंचायत सदस्य सतीशचंद्र सिंह का खोभा में खेती व मकान है. सतीशचंद्र के मुताबिक 14 जुलाई को उन्होंने गन्ने का सट्टा बनवाने के लिए महराजगंज के सहज जनसेवा केंद्र से परिवारपुर गांव की खतौनी निकाली. 

ऐसे खुला राज पर राज
ऑनलाइन खतौनी में पता चला कि उनके परिवारपुर गांव के खाता संख्या 68 के गाटा संख्या 198, 213, 252 में उनके हिस्से को किसी आलोक सिंह के नाम वरासत कर दिया गया. वहीं, सतीश चंद को 15 मई 2020 को मृत होना दिखाया गया है. इस पूरे मामले में पीड़ित को मृत दिखाकर आलोक सिंह को उनका पुत्र बनाकर जमीन की वरासत कर दी गई.

लोगों के लिए आज भी पहेली 
आपको बता दें कि जब किसी व्यक्ति की वरासत होती है, तब कुटुंब रजिस्टर की नकल, मृत्यू प्रमाण, पत्र मृत ब्यक्ति के घर जाकर लेखपाल का बयान लेकर भर वरासत का प्रकिया होती है. जिसमें उच्च अधिकारीयो के अनुमोदन के बाद ही वरासत किया जाता है. बहरहाल, अब ये देखना है कि किस हिसाब से ये डॉक्यूमेंट तैयार कराए जाए.. जो लोगों के लिए आज भी पहेली बनी हुई है.

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