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हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल है जौनपुर का यह स्थल, एक ही छत के नीचे मंदिर भी, मजार भी

"सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा... मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना." ये लाइनें जौनपुर के एक ऐसे धार्मिक स्थल पर सटीक बैठती हैं, जहां हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एक मजबूत मिसाल देखने को मिलती है. यहां एक ही छत के नीचे दोनों ही संप्रदाय के लोग एक साथ पूजा और इबादत करते हैं.

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हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल है जौनपुर का यह स्थल, एक ही छत के नीचे मंदिर भी, मजार भी
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Nimisha Srivastava|Updated: Jul 13, 2022, 09:59 AM IST

अजीत सिंह/जौनपुर: "सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा... मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना." ये लाइनें जौनपुर के एक ऐसे धार्मिक स्थल पर सटीक बैठती हैं, जहां हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एक मजबूत मिसाल देखने को मिलती है. यहां एक ही छत के नीचे दोनों ही संप्रदाय के लोग एक साथ पूजा और इबादत करते हैं. क्या हिंदू, क्या मुस्लिम... सभी एकता की मिसाल पेश करते हुए पूजा और इबादत कर रहे हैं. यहां लोगों को हिंदू-मुसलमान से कोई मतलब नहीं है. इन्हें सिर्फ मतलब है अपने ऊपरवाले से.

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गणपति और माता की प्रतिमा के साथ पीर बाबा की मजार
जौनपर के अल्फास्टिंग गंज में स्थित यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. इस मंदिर में ऊपर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है, तो नीचे एक पुराने बाबा की मजार बनी हुई है. जहां मजार पर लोग चादरपोशी करते हैं, वही मंदिर के अंदर स्थापित माता रानी और गणेश भगवान की पूजा होती है. स्थानीय लोगों की दोनों देवताओं में पूरी आस्था है. लोगों का यह भी कहना है कि यहां आपस में कभी कोई विवाद की नौबत ही नहीं आती. शहर में कम से कम आधा दर्जन जगह ऐसी हैं, जहां चंद कदमों की दूरी पर मंदिर और मस्जिद दोनों हैं, लेकिन यह अपने आप में अनूठा है, जहां भगवान गणेश, चौरा माता और पीर बाबा की मजार एक ही छत के नीचे हैं और दोनों धर्मों के लोग पूरी आस्था लग्न और विश्वास के साथ इनकी पूजा और इबादत करते हैं.

आपसी प्रेम भाव से होती है पूजा-इबादत
स्थानीय निवासी अख्तर जमाल का कहना है कि यह काफी पुराना मंदिर है. साथ ही, यह मस्जिद भी काफी पुरानी है. यहां कभी किसी प्रकार का कोई झगड़ा या विवाद नहीं होता है. सभी लोग अपने धर्म के अनुसार यहां आते हैं, पूजा करते हैं. यह हमारे देश के लिए एक मिसाल है. दोनों धर्मों के लोग यहां आते हैं और आपसी प्रेम भाव के साथ पूजा करते हैं.

इतिहास में भी मजार का वर्णन
स्थानीय व्यक्ति चांद मोहम्मद ने बताया है कि इस मजार का इतिहास में भी वर्णन है. सभी लोग मिल-जुलकर यहां पूजा करते हैं. यह अपने आप में एक मिसाल है.

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