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Akshaya Tritiya 2023: इस अक्षय तृतीया की पूजा में इन बातों का ध्यान रखने से घर में होगी धन वर्षा, जानें पूजा के नियम

अक्षय तृतीय के दिन भगवान विष्णु की उनकी पत्नी लक्ष्मी के साथ पूजा की जाती है. सभी देवी देवताओं की पूजा के अलग- अलग नियम हैं. अगर आपको इन नियमों की जानकारी होगी तो आपके द्वारा की जाने वाली पूजा और भी अधिक फलदायी होगी. इन छोटे मगर महत्त्वपूर्ण नियमों के बारे में जानें...  

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Akshya Tritya (File Photo)
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Zee News Desk|Updated: Apr 22, 2023, 05:34 AM IST

Akshaya Tritiya 2023: 22 अप्रैल 2023 को अक्षय तृतीय का पर्व है. भारतवर्ष में यह त्यौहार बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीय का विशेष महत्त्व है. शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि इसी तिथि पर द्वापर युग की समाप्ति हुई थी. सतयुग, त्रेता और द्वापर तीनो युगों में भगवान विष्णु ने अवतार लिया. अक्षय तृतीय के दिन भगवान विष्णु की उनकी पत्नी लक्ष्मी के साथ पूजा की जाती है. सभी देवी देवताओं की पूजा के अलग- अलग नियम हैं. अगर आपको इन नियमों की जानकारी होगी तो आपके द्वारा की जाने वाली पूजा और भी अधिक फलदायी होगी. इन छोटे मगर महत्त्वपूर्ण नियमों के बारे में जानें.

किसी भी पूजा की शुरुआत गणेश पूजा के साथ होती हैं. गणेश भगवान को कभी भी तुलसी अर्पित न करें. इसके पीछे की कथा ये है कि तुलसी के कारण एक बार भगवान गणेश के तप में विघ्न पड़ा था. इस कारण वह देवी तुलसी से नाराज हो गए थे. इसलिए आज भी उनकी पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाता. अपने घर के मंदिर में एक साथ गणेश जी की तीन मूर्तियां ना रखें. इसे बहुत ही अशुभ माना जाता है. 

भगवान विष्णु की पूजा के समय ये भी ध्यान रखें कि उनको अक्षत यानि चावल का टीका ना लगाएं . अगर आप लगाना भी चाहते हैं तो चावल को हल्दी या चन्दन में मिलाकर पीला कर लें. पीला रंग भगवान विंष्णु को बहुत पसंद है. माता लक्ष्मी को कुमकुम मिलाकर अक्षत का टीका लगा सकते हैं. 

भगवान विष्णु को शंख अति प्रिय है. शंख को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है. इसलिए पूजा घर में एक से ज्यादा शंख ना रखें. पूजा के समय शंख को पूरा आदर दें और इसको खाली जमीन पर ना रखें.

पूजा में बैठने से पहले अपना आसन तैयार कर लें. बिना आसन के पूजा करने पर पूजा अधूरी मानी जाती है. पूजा के समय हमारे पैर सीधे धरती को ना छुएं. इसलिए पूरा और स्वच्छ आसन बिछाकर ही भगवान विष्णु की पूजा की शुरुआत करें.  

भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती अवश्य गाएं और दोनों हाथों से आरती करें. एक हाथ से कभी भी आरती नहीं लेनी चाहिए. 

भगवान सत्यनारायण की पूजा में पंचामृत अवश्य बनाएं. किन्तु पंचामृत कभी भी एक हाथ से नहीं लेना चाहिए. पंचामृत की एक भी बूंद धरती पर नहीं गिरनी चाहिए. पंचामृत पीने के बाद हाथों को अपनी आंखों मलें. 

ध्यान रखें कि पूजा के दौरान दरवाजे पर जूते चप्पल ना फैले हों. दरवाजे पर स्वच्छता हो इस बात का विशेष ध्यान रखें. माता लक्ष्मी फटे-पुराने वस्त्रों और टूटे जूते चपल्लों को घर में रखने से रुष्ट हो जाती है. 

परिवार में सूतक हो तो लक्ष्मी पूजा के लिए चौकी ना लगाएं. महिलाओं को मासिक धर्म चल रहा हो तो उन्हें भी अक्षय तृतीय की पूजा नहीं करनी चाहिए. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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