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Gyanvapi Masjid की सर्वे रिपोर्ट में कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने क्या किए थे खुलासे, 6 पॉइंट्स में जानिए

Gyanvapi Masjid Case: 4 महीने पहले, मई 2022 में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया गया था और एक रिपोर्ट बनाई गई थी. आइए 6 आसान पॉइंट्स में जानते हैं इस रिपोर्ट में क्या लिखा था... 

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Gyanvapi Masjid की सर्वे रिपोर्ट में कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने क्या किए थे खुलासे, 6 पॉइंट्स में जानिए
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Zee News Desk|Updated: Sep 12, 2022, 11:19 AM IST

Gyanvapi Masjid Report: मई के महीने में वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया गया था. यह सर्वे तीन दिन (14 मई से 16 मई) तक चला था. इसके बाद 19 मई 2022 को इस मामले में कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने 12 पन्ने की एक रिपोर्ट पेश की थी. वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन के सामने इन तीन दिनों के सर्वे की रिपोर्ट में वजू के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले तालाब के बीच में एक शिवलिंगनुमा आकृति का जिक्र था. 

1. रिपोर्ट में कोर्ट कमिश्नर ने बताया था कि नगर निगम के एक कर्मचारी को सीढ़ी पर लिटाकर तालाब के बीचों-बीच भेजा गया और पानी कम कराकर मछलियों को सेफ रखने के लिए मत्स्य पालन अधिकारी से सलाह ली गई. बताया गया कि 2 फीट तक पानी लेवल में रहेगा, तो मछलियों को नुकसान नहीं होगा. इसके बाद सलाह के मुताबिक, पानी कम किया गया. पानी का स्तर नीचे आया तो पत्थर की एक काली गोलाकार आकृति दिखाई दी. 

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2. इस पत्थर की ऊंचाई करीब 2.5 फीट आंकी गई और आकृति के टॉप पर एक कटा हुआ गोलाकार डिजाइन का अलग पत्थर दिखाई पड़ा. देखा गया कि पत्थर के बीच में आधे इंच से कम का एक गोल छेद बना हुआ था. इसमें सींक डालकर मापा गया कि गहराई 63 सेंटीमीटर है. फिर, गोलाकार आकृति के बेस का व्यास भी 4 फीट का मिला. 

3. वादी पक्ष इसे काले पत्थर का शिवलिंग बताने लगा. हालांकि, प्रतिवादी पक्ष के वकील ने इसे फव्वारा बताया. इसके बाद सर्वे टीम ने वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की और रिपोर्ट को सील बंद कर दिया गया. 

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4. इसके अलावा, अंजुमन इंताजामिया के मुंशी एजाज मोहम्मद से जब यह पूछा गया कि फव्वारा कबसे बंद है तो वह ठीक-ठीक जवाब नहीं दे पाए. पहले उन्होंने इसे 20 साल से बंद बताया और फिर कहा कि फव्वारा 12 साल से बंद पड़ा है. जब उन्हें फव्वारा चालू करने के लिए कहा गया तो मुंशी ने असमर्थता जताई. आकृति में जो 63 सेंटीमीटर गहरा छेद मिला था, फसमें पानी का पाइप नहीं घुसाया जा सकता था.

5. इसके बाद वजू के तालाब को नापा गया, जो 33 मीटर X 33 मीटर के दायरे में मिला. इसके अंदर ही पत्थर की आकृति मिली थी. इस आकृति की सतह पर अलग तरह का एक घोल चढ़ा हुआ था. कहीं-कहीं पर चटका हुआ भी लग रहा था. शायद काफी समय से पानी में डूबे रहने के कारण इसपर काई जमी हुई थी. 

6. बता दें, इससे पहले कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने 6-7 मई 2022 को सर्वे रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें खंडित मूर्तियों, देवातओं की कलाकृतियों और कमल की कलाकृतियों के होने का जिक्र था.

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