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सिद्धार्थनगर में बना रहा था नकली खाद, जिला कृषि अधिकारी ने गोदाम को किया सील

 Siddharthnagar News: जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि इटवा तहसील की करीब दर्जनभर दुकानों में छापेमारी की गई है. वहां से गेहूं के बीज के साथ अन्य बीजों के सैंपल लिए गए और उन्हें लैब में भेजा गया है.

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सिद्धार्थनगर में बना रहा था नकली खाद, जिला कृषि अधिकारी ने गोदाम को किया सील
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Zee Media Bureau|Updated: Nov 20, 2022, 01:52 PM IST

सलमान आमीर/सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के जिला कृषि अधिकारी ने छापेमारी कर नकली जैविक खाद बनाने वाले गोदाम को सीज कर दिया है. जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह ने यह कार्रवाई इटवा तहसील में स्थित अब्दुल्लाह गोडाउन पर की है. यहां से नकली जैविक खाद, ब्रांडेड कंपनियों के डिब्बे और इनको पैक करने के उपकरणों को बरामद किया है.जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में गेहूं की बुआई को देखते हुए खाद और बीज की दुकानों पर गुणवत्ता चेक करने के लिए छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है.

ब्रांडेड कंपनियों के नकली खाद मिले 
जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि इटवा तहसील की करीब दर्जनभर दुकानों में छापेमारी की गई है. वहां से गेहूं के बीज के साथ अन्य बीजों के सैंपल लिए गए और उन्हें लैब में भेजा गया है. कृषि अधिकारी ने बताया कि जब वह अब्दुल्लाह के बीज की दुकान पर गए और उसका गोडाउन चेक किया तो उन्हें वहां सफेद बोरियों में कुछ दाने दिखाई दिए. वहां पर विभिन्न ब्रांडेड कंपनियों के ड्रम और पैकिंग के सामान भी मिले. गोडाउन मालिक से पूछताछ करने और संबंधित कंपनियों से बातचीत के बाद यह क्लियर हो गया कि दाने के रूप में इन जैविक खादों को ब्रांडेड कंपनियों के डिब्बों में पैक कर उनके नाम से अवैध रूप से बेचा जा रहा था.

उन्होंने बताया कि इसकी पुष्टि होने पर गोडाउन को सील कर दिया गया है और दुकानदार और गोडाउन मालिक के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने की तैयारी चल रही है. जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि उनके विभाग द्वारा समय-समय पर इस तरह की छापेमारी और सैंपलिंग काम लगातार किया जाता है ताकि जो लोग भी इस तरह की गतिविधियों में लिप्त हैं उन पर अंकुश लगाया जा सके.

बतादें कि किसानों को गेहूं के साथ ही आलू , चना और अन्य फसलों की बुआई प्रदेश में शुरू हो गई है. ऐसे में किसानों के बीच खाद की मांग अधिक है. इस साल बारिश की वजह से धान की कटाई लेट हुई है. बारिश खत्म हुई तो सभी किसानों के खेत लगभग एक साथ खाली हुए. उनके बीच खाद की मांग भी एक साथ हो गई. समितियों में पहुंचने पर उनको खाद नहीं मिल रही. खाद के लिए लंबी-लंबी लाइने लगानी पड़ रही है. 

 

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