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वनटांगियों संग लगातार 14 वें साल दिवाली मनाएंगे सीएम योगी, राजधानी गांव के मुसहरों को भी किया गया आमंत्रित

कुसम्ही जंगल में बसे वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर चहुंओर खुशहाली छाई हुई है.

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वनटांगियों संग लगातार 14 वें साल दिवाली मनाएंगे सीएम योगी, राजधानी गांव के मुसहरों को भी किया गया आमंत्रित
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Zee Media Bureau|Updated: Oct 24, 2022, 09:29 AM IST

गोरखपुर: कुसम्ही जंगल में बसे वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन को लेकर चहुंओर खुशहाली छाई हुई है. सीएम योगी प्रभु श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या में दीपोत्सव का कीर्तिमान रचने के बाद सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे यहां वनटांगियों व मुसहरों के साथ दिवाली मनाने पहुंचेंगे.योगी लगातार 14वें साल वनवासियों के बीच दिवाली मनाएंगे. इस अवसर पर वनवासियों को दिवाली उपहार देने के साथ ही वह जिले की कई ग्राम पंचायतों के लिए करीब 80 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की सौगात देंगे.

राजधानी गांव के मुसहरों को भी किया गया आमंत्रित 
मुख्यमंत्री के साथ दिवाली मनाने के लिए कई गांवों के वनटांगियों के साथ राजधानी गांव के मुसहरों को भी आमंत्रित किया गया है. जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री 34.55 करोड़ रुपये की लागत से 95 ग्राम पंचायतों के लिए ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन कार्यो तथा 2.48 करोड़ रुपये की लागत से 62 ग्राम पंचायतों के लिए कामन सर्विस सेंटर की स्थापना कार्य का शिलान्यास करेंगे. ये कार्य पंचायत राज्य विभाग की तरफ से कराए जाएंगे.

इसके साथ ही वह 24 ग्राम पंचायतों में परफॉर्मेंस ग्रांट से करायेंगे. करीब 21.10 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे. मुख्यमंत्री द्वारा ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की तरफ से पूर्वांचल विकास निधि के तहत कराए गए 1.33 करोड़ रुपये तथा त्वरित आर्थिक विकास योजना के अंतर्गत कराए गए 20.46 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को भी जनता को समर्पित करेंगे.कार्यक्रम समाप्त होने के बाद सीएम गोरखनाथ मंदिर पहुंचेंगे.

रविवार को प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों ने जंगल तिकोनिया नंबर तीन में सभी तैयारियों को अंतिम रूप दिया. शाम तक हेलीपैड समेत पंडाल सज कर तैयार हो गया. रविवार की देर शाम से ही पुलिस कर्मियों ने मोर्चा संभाल लिया, जिन पुलिस कर्मियों की जहां ड्यूटी लगाई गई है वहां वे पहुंचकर अपनी-अपनी जिम्मेदारी संभाल लिए हैं.

कौन हैं वनटांगिया 
अंग्रेजी शासनकाल में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई. इसकी भरपाई के लिए अंग्रेज सरकार ने साखू के पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया. साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की टांगिया विधि का इस्तेमाल किया गया. इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए. कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी और चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं.

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