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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि में क्यों बोए जाते हैं 'जौ', ज्वार के महत्व के साथ जानें इसके बढ़ने के शुभ-अशुभ संकेत

Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि हो या शारदीय नवरात्रि म‍िट्टी के बर्तन में जौ बोने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इस परंपरा का न‍िर्वहन क्‍यों क‍िया जाता है.. या कलश में जौ का ही प्रयोग क्‍यों किया जाता है? तो आइए इस बारे में व‍िस्‍तार से जान लेते हैं… इन नौ दिनों जौ का बढ़ना या ना बढ़ने के पीछे शुभ-अशुभ संकेत भी मिलते हैं.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Preeti Chauhan|Updated: Mar 17, 2023, 03:30 PM IST

Chaitra Navratri 2023: हिंदू धर्म के हर त्योहार में कई रीति-रिवाज होते हैं लेकिन अक्सर हमें इनके पीछे का उद्देश्य पता ही नहीं होता है. नवरात्रि में कलश के सामने गेहूं और जौ को मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और इसका पूजन भी किया जाता है. हममें से अधिकतर लोगों को पता नहीं होगा कि जौ आखिर क्यों बोते हैं? नवरात्रि में जौ बोने का विशेष महत्व है. ज्वारे बोने के भी नियम है साथ ही इन ज्वारों के उगने पर शुभ-अशुभ संकेतों का पता लगाया जा सकता है.

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पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है.पूजा के ​कलश के पास मिट्टी में जौ (Navratri Jau) बोते हैं. बहुत से लोगों को ये नहीं जानते होंगे कि जौ को कलश के पास ही क्यों बोया जाता है. आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ बातें बता रहे हैं, जिसमें जौ से जुड़े शुभ और अशुभ संकेत भी शामिल हैं.

नवरात्रि में जौ बोने का महत्व
नवरात्रि के दौरान जौ बोने की परंपरा सदियों पुरानी बताई जाती है. लेकिन इसके साथ ही कुछ और बातें भी जुड़ी हुई हैं. मसलन जौ जातक के भविष्‍य में आने वाले संकेतों को भी दर्शाती है. ऐसा कहा जाता है कि जौ जितने बड़े उगते हैं, उतनी ही कृपा मां दुर्गा की हम पर होती है. मतलब जौ की फसल होना हमारे लिए अच्छा है.

सृष्टि का पहला अनाज जौ
जौ को सृष्टि का पहला अनाज माना जाता है और उसे ब्रह्मा जी का स्वरुप भी मानते हैं. जौ का तेजी से बढ़ना घर में सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.अगर जौ घनी नहीं उगती है या ठीक से नहीं उगती है तो इसे घर के लिए अशुभ माना जाता है.

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क्यों बोए जाते हैं जौ?
धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जब ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की तो उस समय की पहली वनस्पति 'जौ' थी. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन हुई थी. यही कारण है कि नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के लिए पूरे विधि-विधान से जौ बोए जाते हैं. इस को पूर्ण फसल भी कहा जाता है. इसे बोने के पीछे मेन रीजन अन्न ब्रह्मा है. इसलिए ही तो कहते हैं कि  अन्न का आदर करना चाहिए. 

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क्या होता है जौ (यव)?  
संस्कृत भाषा में इसे यव कहा जाता है. अधिकांश लोग जौ को ज्वारे भी करते हैं. नवरात्रि के दौरान घर, मंदिर और अन्य पूजा स्थलों पर मिट्टी के बर्तन में जौ बोए जाते हैं.नवरात्रि के समाप्त होने पर इसे किसी पवित्र किसी या तालाब में प्रवाहित करते हैं. अगर जौ सफेद रंग के और सीधे उगे हो तो इसे शुभ माना जाता है. अगर जौ काले रंग के टेढ़े–मेढ़े उगती है तो इनको अशुभ माना जाता है.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UPUK इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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