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चिलचिलाती धूप में परेशान बुजुर्ग महिला को देख बहराइच DM का पसीजा दिल, खरीद कर दिये फल, पूछा हालचाल

चलती फिरती आंखों से अजां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है. ये पंक्तियां कहीं न कहीं बहराइच के जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र के ऊपर एकदम सटीक बैठ रही हैं.

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चिलचिलाती धूप में परेशान बुजुर्ग महिला को देख बहराइच DM का पसीजा दिल, खरीद कर दिये फल, पूछा हालचाल
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Zee Media Bureau|Updated: Jun 17, 2022, 09:20 PM IST

राजीव शर्मा/ बहराइच: चलती फिरती आंखों से अजां देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी लेकिन मां देखी है. ये पंक्तियां कहीं न कहीं बहराइच के जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र के ऊपर एकदम सटीक बैठ रही हैं. मामला उस समय का है जब जुमे की नमाज को सकुशल एवं शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न कराने को लेकर जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक दल बल के साथ शहर के गस्त पर थे. 

इसी दौरान शहर के मुख्य बाजार घण्टाघर चौक पर चिलचिलाती धूप से परेशान एक बुजुर्ग महिला के ऊपर डी.एम डॉ. दिनेश चंद्र की नजर पड़ी. फिर क्या था मां समान बुजुर्ग महिला की हालत देख डी.एम की मानवीय संवेदना जाग उठी. और जिलाधिकारी सीधे बुजुर्ग महिला के पास पहुंचे और तेज़ धूप से परेशान बुज़ुर्ग महिला के पास पहुंचकर डीएम ने एक बेटे की तरह शिष्टाचार निभाते हुए महिला से उसका कुशल क्षेम पूछा और कहा कि अम्मा मैं आपके जिले बहराइच का जिलाधिकारी हूं. इसके बाद डीएम ने इस बात की भी जानकारी हासिल की कि उन्हें किन-किन योजनाओं का लाभ मिल रहा है. 

बुज़ुर्ग महिला ने डीएम को बताया कि उसे खाद्यान्न योजना का लाभ प्राप्त हो रहा है. डीएम ने कहा कि अम्मा मैं इस जिले का जिलाधिकारी हूं, आपको आपकी अर्हता के अनुसार अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलाया जायेगा. वहीं, डीएम दिनेश चन्द्र ने खाने के लिये फल खरीदकर मां समान बुज़ुर्ग महिला को दिए, साथ ही कुछ रुपयों की मदद कर बुज़ुर्ग महिला का आशीर्वाद प्राप्त किया. इस मौके पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक केशव कुमार चौधरी के साथ ही तमाम अधिकारी व कर्मचारियों के साथ ही भारी तादात में पुलिस के जवान भी मौजूद रहे. 

बहराइच से सामने आयी इस तरह की मार्मिक तस्वीर साफ गवाही दे रही है कि जिस तरह बहराइच के जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र ने सार्वजनिक स्थल पर एक बुजुर्ग महिला को मां की पदवी देकर सम्मान देने का काम किया है, उससे साफ जाहिर हो रहा है कि दुनियां में मां की दुआओं के बिना कभी कोई भी शख्स कामयाब नहीं हो सकता है. इसके आगे का बस इतना ही फलसफा है कि हर मंदिर, हर मस्जिद और हर चौखट पर माथा टेका, दुआ तो तब कबूल हुई जब मां के पैरों में माथा टेका. 

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