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मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में क्या यादव परिवार के दो दिग्गज टकराएंगे, अमित शाह से मिलीं अपर्णा यादव

Mainpuri By Election 2022: भाजपा के चाणक्य चाहते हैं कि मैनपुरी से अपर्णा चुनाव लड़ें. अपर्णा यादव ने हालांकि अभी हामी नहीं भरी है. उन्होंने कहा कि नेता जी की सीट पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला लेने के लिए वक्त चाहिए. 

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मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में क्या यादव परिवार के दो दिग्गज टकराएंगे, अमित शाह से मिलीं अपर्णा यादव
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Zee Media Bureau|Updated: Nov 08, 2022, 12:53 PM IST

Mainpuri Lok Sabha Election 2022: मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव को लेकर बीजेपी पूरी ताकत झोंकने के मूड में है. अपर्णा की गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है.मैनपुरी से चुनाव लड़ाने के लिए बीजेपी अपर्णा के नाम पर चर्चा कर रही है. सूत्रों का कहना है कि अपर्णा यादव को लेकर भाजपा में मंथन चल रहा है. भाजपा के चाणक्य चाहते हैं कि मैनपुरी से अपर्णा चुनाव लड़ें. अपर्णा यादव ने हालांकि अभी हामी नहीं भरी है. उन्होंने कहा कि नेता जी की सीट पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला लेने के लिए वक्त चाहिए. मैनपुरी के गणित के कारण लंबे समय से यह सीट सपा के कब्जे में रही है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हुई थी.

बीजेपी का आत्मविश्वास चरम पर
आजमगढ़ और रामपुर जैसे सपा के अभेद्य किले को भेदने के बाद बीजेपी का आत्मविश्वास चरम पर है. ऐसे में बीजेपी मैनपुरी सीट पर कब्जा करने के अपने सालों के प्रयास को कामयाब बनाने के लिए इस मौके को नहीं चूकना चाहती. गोला उपचुनाव जीतने के बाद तो बीजेपी का उत्साह दोगुना हो गया है.मैनपुरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव की रणभेरी बज गई है. मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई सीट पर एक ओर जहां सपा के लिए साख बचाने की चुनौती है. वहीं, बीजेपी सपा का एक और मजबूत गढ़ भेदने के लिए तैयारी कर रही है. बीजेपी के लोकसभा प्रभारी मानवेन्द्र सिंह मैनपुरी पहुंचे...जहां उन्होंने संगठन के लोगों के साथ बैठक कर चुनाव की रूपरेखा तैयार की.मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि 'बीजेपी का एक-एक कार्यकर्ता चुनाव के लिए तैयार है' 

बीजेपी के लिए मैनपुरी की राह हो सकती है आसान 
गौरतलब है कि आज तक मैनपुरी संसदीय सीट पर बीजेपी कभी जीत हासिल नहीं कर सकी है. हां ये बात भी सही है कि बीजेपी ने जीत का अंतर कम करने में जरूर कामयाब रही है. 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के बावजूद नेताजी मुलायम सिंह यादव करीब 95 हजार वोट से ही जीत पाए थे. नेताजी के नहीं रहने से मैनपुरी की राह बीजेपी के लिए आसान साबित हो सकती है.

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